राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। MP Dhan Kharidi: खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 में केंद्र सरकार समय-समय पर घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर औसत अच्छी गुणवत्ता की धान, ज्वार और बाजरा का उपार्जन किसानों से करेगी। राज्य शासन ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान, ज्वार और बाजरा की उपार्जन नीति घोषित कर दी है। समर्थन मूल्य पर ज्वार और बाजरा की 24 नवंबर से 24 दिसंबर तक और धान की खरीदी एक दिसंबर से 20 जनवरी 2026 तक होगी। वहीं इसकी खरीदी सोमवार से शुक्रवार तक होगी।
सभी कलेक्टर, नागरिक आपूर्ति निगम के साथ वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन के अफसरों को निर्देश दिए गए हैं कि उपार्जन नीति का पूरी तरह पालन सुनिश्चित कराएं। जिससे किसानों को लाभ पहुंचाने की सरकार की मंशा पूरी हो सके। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही मिलने पर उपार्जन काम से जुड़े अधिकारी और कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
यह होगा फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य
न्यूनतम समर्थन मूल्य धान कॉमन का 2369 रुपये, धान ग्रेड-ए का 2389, ज्वार मालदण्डी का 3749 हजार, ज्वार हाइब्रिड का 3699 और बाजरा का 2775 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।
समर्थन मूल्य (MSP) पर धान उपार्जन में 46 प्रतिशत पुराने और 54 प्रतिशत नए जूट बारदानों का उपयोग किया जाएगा। उपार्जन एजेंसी इसकी व्यवस्था करेगी। ज्वार और बाजरे का उपार्जन नए जूट बारदानों में होगा।
केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय द्वारा धान, ज्वार एवं बाजरा के समर्थन मूल्य पर उपार्जन के लिये निर्धारित यूनिफार्म स्पेसिफिकेशन के अनुसार एवं समय-समय पर इसमें दी गई शिथिलता के अनुसार उपार्जन किया जायेगा।
दो संस्थाएं करेंगी गुणवत्ता परीक्षण
गुणवत्ता परीक्षण की जिम्मेदारी उपार्जन करने वाली जगह पर संस्था और गोडाउन में उपार्जन एजेंसी की होगी। कृषि उपज मंडियों में एफएक्यू मानक की धान, ज्वार और बाजरा की खरीदी समर्थन मूल्य से कम पर खरीदी नहीं की जाएगी। नॉन एफएक्यु उपज का सैंपल कृषि उपज मंडी संधारित करेगी।
किसान पंजीयन में दर्ज फसल के रकबे और राजस्व विभाग तहसीलवार निर्धारित उत्पादकता के आधार पर किसानों के खाद्यान्न को बेचने योग्य अधिकतम मात्रा का निर्धारण करेगा। किसान को अपनी फसल बेचने के लिए उपार्जन केन्द्र और बेचने वाली तारीख के चयन के लिए स्लॉट बुकिंग करानी होगी। उपार्जित किए गए खाद्यान्न का उपार्जन केन्द्र से गोदाम तक परिवहन का दायित्व उपार्जन एजेंसी का और धान को उपार्जन केन्द्र/गोदाम से सीधे मिलर्स तक ट्रांसपोर्ट की जिम्मेदारी मिलर्स की होगी।
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