रेणु अग्रवाल, धार। मध्यप्रदेश के धार जिले में 250 करोड रुपए के बहुचर्चित सेंट टेरेसा जमीन घोटाले मामले में 627 दिन बाद एक नया मोड़ आया है। 17 अगस्त की अल सुबह प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने 4 स्थानों पर एक साथ दबिश दी। पहली टीम सेंट टेरेसा परिसर में स्थित सुधीर दास के निवास पर, दूसरी टीम सेंट टेरेसा परिसर के बाहर सुधीर जैन के शोरूम, तीसरी टीम घोटाले के मुख्य आरोपी सुधीर जैन के भाई सुनील जैन और भतीजे सिद्दार्थ जैन के जवाहर मार्ग स्थित निवास और चौथी टीम सिल्वर हिल स्थित वकील जावेद के निवास पर पर दबिश दी थी। लगभग 21 घंटे तक दस्तावेज खंगाले गए। ईडी की दबिश के बाद मामला फिर चर्चा में आया है।
क्या है मामला
28 नवंबर 2021 को सुबह रसूखदार परिवारों के घरों पर पुलिस ने दबिश दी और इस 250 करोड रुपए के सेंट टेरेसा घोटाले मामले में 12 लोगों की गिरफ्तार किया गया, जिसमें महिलाएं भी शामिल थी। रसूखदारों ने महिला सदस्यों के नाम रजिस्ट्री शुल्क बचाने सेंट टेरेसा परिसर की जमीन को औने पोने दाम पर खरीदी थी। जमीन से जुड़े 1895 से लेकर 2022 तक का रिकॉर्ड पुलिस ने अपने चालान में शामिल किया है। इस सरकारी जमीन पर नगर पालिका ने 2008 से निर्माण की अनुमति दी थी। इसी के मार्फत रजिस्ट्री हुई और इस जमीन की खरीदी बिक्री होती रही। घोटाले में तत्कालीन एसडीएम सीके गुप्ता, पालिका के तात्कालिक इंजीनियर सुधीर ठाकुर को भी आरोपी बनाया था। इन दोनों को भी अन्य आरोपियों के साथ पुलिस ने जेल भेज दिया। इस प्रकरण में शहर के कई रसूखदार शामिल थे।
इतिहास का झरोखे से पुलिस साक्ष्य ढूंढकर लाई
आखिर कौन है डॉक्टर मिस मार्गरेट ओहरा। क्या वह वास्तव में दास परिवार की कोई रिश्तेदार थी। एक पहेली जिसे इतिहास के पन्नों ने मिस ओहरा के द्वारा लिखी किताब ने सुलझा दिया। घोटाले में पुलिस के हाथ महत्वपूर्ण सुराग लगा। तात्कालिक डीएसपी यशस्वी शिन्दे ने बताया कि दस्तावेज में लिखा है कि 1897 में यहां अस्पताल उद्घाटित हुआ था। इसमें सेवा के लिए डॉक्टर मारगेट ओहरा की नियुक्ति हुई थी। डॉक्टर ओहरा अविवाहित रही उन्होंने 32 साल तक धार में सेवाएं दी। उसके लिए उन्हें हिंद केसरी सम्मान भी मिला, जिसका उल्लेख उनके द्वारा लिखित किताब में है। वे 1927 में कनाडा चली गई। उनकी कोई संतान नहीं और अविवाहित थी तो यह जमीन किसी की पैतृक कैसे हो सकती है। यह सबसे बड़ा सवाल है? स्वत्व कैसे हो सकता है। बताया जाता है कि ओहरा के जाने के बाद यह जमीन लावारिस स्थिति में रही। 1972 में डॉ रत्नाकर दास को यहां सेवा करने के लिए नियुक्ति दी गई थी और रत्नाकर दास के बच्चों ने इस जमीन को खुर्द बुर्द कर दिया।
महाराज आनंद राव तृतीय ने दान में दी थी जमीन
1895 में धार महाराज आनंद राव तृतीय ने सेंट टेरेसा की बेश कीमती व मसीह अस्पताल की जमीन स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जनकल्याणार्थ दी थी। इस बेशकीमती जमीन पर कभी अस्पताल व स्टाफ रहा करता था। वही मसीह अस्पताल वाली भूमि पर बताया जा रहा है। यहां पर ब्रिटिश हुकूमत के समय मार्गरेट ओहरा की नियुक्ति धार में हुई थी। वह 1891 में प्रिंस मेडिकल कॉलेज किंग्सटन से डॉक्टर बनी। वह पहली बैच की डॉक्टर थी जिनका अप्वाइंटमेंट धार में किया गया। वह 1895 में भारत आई और धार में सेवाए दीं। इसके अलावा उन्होंने यहां पर एक अनाथ आश्रम का भी संचालन किया।
1931 में किताब लिखी लीफ ऑफ द लोटस
किताब में भारत व धार में किए गए सेवा को विस्तार से लिखा। 1940 में उनकी ओंटारियो में मृत्यु हुई। सेंट टेरेसा घोटाले में सुधीर दास के द्वारा इस जमीन पर अपना स्वत्व का अधिकार बताया था। डॉ रत्नाकर पीटर दास की एक संस्था के जरिए मसीह अस्पताल में 1972 में नियुक्ति हुई थी। वहीं 1927 से 1972 तक यह अस्पताल की भूमि लावारिसों की तरह रही। रत्नाकर पीटर दास छत्तीसगढ़ से धार आए और यहां पर वे मृत्यु तक रहे। उनकी पत्नी ने भी यहां सेवाएं दी। उनके पुत्र सुधीर दास घोटाले में मुख्य आरोपी है। उन्होंने यह जन कल्याण के लिए दी गई जमीन को खुर्द बुर्द किया। पुलिस ने 28 आरोपियों सहित 1 संस्था पर भी प्रकरण दर्ज किया था।
घोटाले का मास्टरमाइंड सुधीर जैन फरार
इस घोटाले का मास्टरमाइंड सुधीर जैन 28 नवंबर 2021 को एफआईआर दर्ज होने के बाद से फरार चल रहा है। पुलिस ने सुधीर जैन पर इनाम किया है। शातिर सुधीर जैन के आगे साइबर क्राइम ब्रांच का तंत्र भी फेल साबित हो रहा है। पुलिस घोटाले में 16500 पेज का चालान तैयार कर पेश किया है। इसमें कुल 32 आरोपी है। इस प्रकरण में 180 साक्षी है। तीन फरार आरोपी में सुधीर जैन, उनकी पत्नी आयुषी जैन और सुधीर जैन का साला अंकित शामिल है। राजस्व मंडल ग्वालियर, अपर आयुक्त इंदौर, कलेक्टर धार, एसडीएम, तहसीलदार, अभिलेखागार पंजीयन, नगर पालिका अन्य कार्यालयों से दस्तावेज इकट्ठे कर चालान किया है। इसमें कुछ डाक्यूमेंट्स ऐसे थे जो ओहरा से जुड़े हुए जिसको कनाडा से मंगवाया गया था। इसके अलावा गूगल अर्थ से फोटोग्राफ लिए गए।
घोटाले की शिकायतकर्ता
राजस्व रिकार्ड में सेंट टेरेसा की जमीन सर्वे नंबर 29 मगजपुरा के नाम से दर्ज है। यह 19 अगस्त 1895 में धार स्टेट के महाराज आनंद राव पवार ने महिला अस्पताल और डॉक्टर के बंगले के लिए दान में दी थी। रिकॉर्ड में जमीन का कुल रकबा 3.074 हेक्टेयर दर्ज है। इस मामले को लेकर महू तहसील के ग्राम पांदा के निवासी जय सिंह, केसर सिंह ठाकुर की शिकायत पर पुलिस ने केस रजिस्टर्ड किया था।
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