दीपक ताम्रकार, डिंडोरी। एमपी की शिवराज सरकार भले ही जनकल्याणकारी योजनाओं के चलते किसानों के कल्याण के लिए प्रयासरत हैं। लेकिन योजनाओं का जमीनी क्रियान्वयन न होने के चलते सरकार की छवि जरूर खराब हो रही है। ऐसा ही मामला कृषि विभाग डिंडोरी का वर्ष 2021- 22 का सामने आया है जहां चना और मसूर बीज वितरण में कृषि विभाग के आलाधिकारियों ने सात विकासखंडों में घोटाले कर किसानों के नाम से रेवड़ी बाट ली। इसका खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता रूपभान पाराशर ने किया, जिस पर जांच हुई और आगे की कार्रवाई के लिए डिंडोरी कलेक्टर ने रिपोर्ट शासन को भेजी है।
आरटीआई में हुआ था खुलासा
डिंडोरी आरटीआई कार्यकर्ता रूपभान पारासर ने बताया कि कृषि विभाग में उनके द्वारा आरटीआई लगाकर बीज वितरण की जानकारी चाही गई थी। जिले के सात विकासखंडों में कितने किसानों को कितनी मात्रा में चना और मसूर के बीज वितरित किये गए। पहले तो कृषि विभाग ने आरटीआई कार्यकर्ता को 6 महीने भटकाया और फिर मामला बढ़ता देख मजबूरी में फिर सारी जानकारी दी। आरटीआई कार्यकर्ता रूपभान पारासर ने बीज वितरण मामले की शिकायत पिछले वर्ष की थी जिसके बाद मेहदवानी विकासखंड और शहपुरा विकासखंड में जांच की गई। जांच में पाया गया कि बीज वितरण के नाम पर कृषि विभाग के तत्कालीन उपसंचालक से लेकर विकासखंड के कृषि विस्तार अधिकारी तक की भूमिका संदिग्ध थी।
चना और मसूर बीज वितरण में गड़बड़ी और बंदरबाट
बता दें कि जिले से बाहर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा बीज भंडारण, वितरण एवं देय अनुदान, प्राप्त कृषक अंश आदि के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत चना 6737 क्विंटल, टरफा योजना अंतर्गत चना 6982 क्विंटल, बीज ग्राम योजना अंतर्गत चना 600 क्विंटल डिंडोरी भेजा गया था। इसी तरह से मसूर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत 1545 क्विंटल, टरफ़ा योजना अंतर्गत 1826 क्विंटल, बीज ग्राम योजना अंतर्गत 42 क्विंटल डिंडोरी भेजा गया था।
बहरहाल कलेक्टर विकास मिश्रा द्वारा कृषि विभाग के घोटालों की जांच के बाद आगे की कार्रवाई के लिए जेडीओ अधिकारी को भेज दी हैं। अब देखना है कि जेडीओ स्तर से कब तक घोटालेबाज कृषि विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाती है।
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