कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश में कई जगह बहुजन समाज पार्टी (BSP) और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (GGP) के समझौते ने कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। ऐसे ही एक जबलपुर की बरगी विधानसभा सीट है। जहां एक ओर कांग्रेस और भाजपा दोनों एड़ी चोटी का जोर लगा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ बसपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की गठजोड़ ने BJP-CONG दोनों के ही वोट में सेंध मारी शुरू कर दी है।

बरगी विधानसभा क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य इलाका है, इसके साथ ही एससी वोटर भी अच्छी खासी है लिहाजा यहां पर गोंडवाना और बसपा का गठबंधन होने से दोनों ही पार्टी के प्रत्याशियों का सिर दर्द बढ़ गया है। बहुजन समाज पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के बीच हुए समझौते के तहत जीजीपी ने बरगी से मांगीलाल मरावी को अपना प्रत्याशी बनाया है। मांगीलाल मरावी कांग्रेस से टिकट न मिलने के कारण गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से चुनाव लड़ रहे है।

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आदिवासी विधायक की मांग

करीब एक दशक तक बरगी विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी का कब्जा था। प्रतिभा सिंह लगातार इस सीट से 2 बार बीजेपी से विधायक चुनी गई, लेकिन 2018 के विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस के संजय यादव ने भाजपा के कब्जे से यह सीट छीन ली। बरगी विधानसभा सीट पर आदिवासी मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं, लिहाजा इस बार बरगी के आदिवासी परिवार स्थानीय आदिवासी विधायक की मांग को लेकर लगातार चर्चाएं कर रहे हैं और यह मांग क्षेत्र में पूरी तरह से जोर भी पकड़ रही है।

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60 हजार आदिवासी मतदाता बिगाड़ सकते हैं खेल

बरगी विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां पर कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 41 हजार 999 हैं। जिसमें 1 लाख 24 हज़ार 69 मतदाता पुरुष, तो 1 लाख 17 हज़ार 909 महिला मतदाता हैं। इनमें सबसे ज्यादा आदिवासियों की संख्या है। एक अनुमान के मुताबिक करीब 60 से 65 हजार आदिवासी मतदाता बरही क्षेत्र में निवास करते हैं, जो किसी भी पार्टी की जीत हार में अहम भूमिका निभाते है।

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ऐसी स्थिति में आदिवासी वोटर्स को अपने पाले में करने के लिए सभी पार्टियां पूरा जोर लगा रही हैं, लेकिन बहुजन समाज पार्टी और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के गठजोड़ ने दोनों ही प्रमुख पार्टियों के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।

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