हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर के भजन भोजन भंडारे वाले भैया का पार्षद से लेकर बीजेपी में राष्ट्रीय महासचिव तक का सफर, अब भैया को सता रही है जीत की चिंता, पहना जीत का सेहरा तो मध्य प्रदेश में मिल सकती है अहम जिम्मेदारी, नहीं तो खत्म हो सकती है पार्टी में भी पूछ परख..? पढ़िए लल्लूराम डॉट कॉम की स्पेशल रिपोर्ट…
विधानसभा चुनाव 2023 के लिए मध्य प्रदेश में बीजेपी ने चौका देने वाली लिस्ट जारी की थी, जिसमें सांसद केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय महासचिव का नाम शामिल था। इन सभी को विधानसभा चुनाव लड़ने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा सीटे जीत कर लाने का दायित्व भी पार्टी ने दिया है। हम बात करें भाजपा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की तो उन्हें बीजेपी ने इंदौर की एक नंबर विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित किया है।
2018 के चुनाव में एक नंबर विधानसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला ने बीजेपी के विधायक सुदर्शन गुप्ता को पराजित कर पहली बार विधानसभा में अपना कदम रखा था और अब दूसरे चुनाव में उनका सामना बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय से सीधा होने वाला है। सवाल खड़ा होता है कि अगर 2023 के विधानसभा चुनाव में भीतरघात का सामना भी कैलाश विजयवर्गीय को करना पड़ेगा।
अगर इस विधानसभा चुनाव में वह जीत का सेहरा पहन लेते हैं तो उनका राजनीतिक कैरियर फिर से सितारों की तरह चमकता नजर आएगा। लेकिन अगर बीजेपी के अंतर्गत चलते हार का सामना करना पड़ा तो शायद ही कैलाश विजयवर्गीय को अगला कोई मौका पार्टी दे। इस विधानसभा चुनाव से कैलाश विजयवर्गीय के साथ उनके बेटे आकाश विजयवर्गी का भी राजनीतिक भविष्य तय होगा। अब देखना होगा 2023 के विधानसभा चुनाव में मतदाता किसको जीत का सेहरा पहनाती हैं।
कैलाश विजयवर्गीय का राजनीतिक सफर
हम बात कर रहे हैं इंदौर से छात्र संगठन से राजनीति शुरू करने के बाद पार्षद विधायक संगठन मंत्री कैबिनेट मंत्री और फिर भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की। जिन्हें 2023 विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर विधानसभा चुनाव के मैदान में उतार दिया। कैलाश के मैदान में उतरते ही राजनीतिक गलियारों में इंदौर की विधानसभा सीट चर्चा का विषय बनी हुई है।
इस विधानसभा सीट पर लड़ने वाले कैलाश विजयवर्गीय के जीवन की शुरुआत 1975 में विद्यार्थी परिषद में राजनीति करने से शुरू हुई थी। इसके बाद वे 1983 में पहली बार अपने जीवन का चुनाव लड़कर इंदौर नगर निगम के पार्षद बने, पार्षद बनकर विजयवर्गीय ने नंदा नगर में काफी काम किया जिसमें सबसे बड़ी समस्या नंदा नगर में पानी की थी, जिसको हल करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। इसके बाद वे 1985 में स्थाई समिति के अध्यक्ष बने और फिर भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश मंत्री और भारतीय जनता पार्टी इंदौर के संगठन मंत्री और फिर प्रदेश विधि प्रकोष्ठ के संयोजक रहे। कैलाश विजयवर्गीय 1985 में विद्यार्थी मोर्चा के प्रदेश संयोजक और 1992 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष बने 1993 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय मंत्री और फिर गुजरात के प्रभारी भी रहे।
पार्षद चुनाव में की भजन संध्या की शुरुआत
इंदौर में कैलाश विजयवर्गीय ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत पार्षद चुनाव से की थी पार्षद चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय ने नंदा नगर क्षेत्र में भजन संध्या की शुरुआत की इसके बाद भजन संध्याओं के धीरे-धीरे माहौल बनने लगा और इसके बाद उन भजन संध्या में भंडारे शुरू हो गए। इंदौर के भजन भंडारे वाले भैया के नाम से जाने जाने वाले कैलाश विजयवर्गीय की इस चुनाव लड़ने क्या अनोखे प्रयोग से कैलाश विजयवर्गीय काफी सफल हुए और आज भी कैलाश विजयवर्गीय किसी भी आयोजन में म्यूजिकल बैंड देखकर भजन गाना शुरू कर देते हैं। कैलाश ने सबसे पहले छोटी छोटी गईया छोटे-छोटे ग्वाल गाना गया था और इसके बाद वह काफी फेमस भी हुए थे।
भजन गाने की शुरुआत के बाद उन्होंने लगातार 6 बार विधानसभा चुनाव भी लड़ा और हर विधानसभा चुनाव में भजन भजन और भंडारे की वही विधि अपनई जो वे पार्षद के चुनाव में अपनाते थे। विधानसभा 2023 के चुनाव में भी कैलाश विजयवर्गीय भजन गाते फिर से नजर आए हैं। अब देखना होगा 2023 विधानसभा चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय का वही पुराना ढंग गाना गाना भजन भंडारे करवाना कितना काम आता है और वह कांग्रेस के संभावित उम्मीदवार संजय शुक्ला को पराजित कर पाते हैं या नहीं यह तो मतदाता ही उनका भविष्य तय करेंगे।
युवा रामायण मंडल
कैलाश विजयवर्गीय ने भजन मंडली की शुरुआत की थी जिसका नाम युवा रामायण मंडल दिया गया। हर मंगलवार को नंदा नगर में किसी न किसी घर पर वह सुंदरकांड करते नजर आते थे और सुंदरकांड इतना सुंदर करते थे कि लोग उन्हें लगातार हर मंगलवार बुलाने लगे। भजन मंडली में इकट्ठा होने वाली राशि का उपयोग क्षेत्र में रहने वाली कन्याओं की शादी में सहयोग करने में किया गया और आज भी युवा रामायण मंडल भजन मंडली भजन गाकर इंदौर की कई विधानसभाओं की कन्याओं का शादी का खर्च उठा रही है।
हालांकि राष्ट्रीय महासचिव बनने के बाद कैलाश विजयवर्गीय के पास समय की कमी होने के चलते हुए भजन मंडली में शामिल नहीं हो पाए थे, लेकिन आज भी जब भी उन्हें वक्त मिलता है तो वह रामायण युवा मंडल भजन मंडली द्वारा कहीं भी आयोजित भजन संध्या में पहुंचकर भजन गाते नजर आते हैं। उनके बचपन के मित्र और साथी हरि नारायण यादव ने बताया कि अब तक लाखों कन्याओं की युवा रामायण मंडल के माध्यम से मदद की जा चुकी है और मदद का सिलसिला आज भी जारी है।
छह बार विधानसभा सदस्य
कैलाश विजयवर्गीय पहले विधानसभा चुनाव 1989 में इंदौर की विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 से लड़ा था और उसके बाद 1993 और 1998 में इंदौर की विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 2 से विधानसभा चुनाव लड़े। इसके बाद के 2003, फिर 2008 और 2013 में आखिरी चुनाव महू से लड़कर जीत हासिल की थी।
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