नीरज काकोटिया,बालाघाट। मध्य प्रदेश में बीजेपी ने आज 92 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। पांचवी लिस्ट में 3 मंत्रियों समेत 29 मौजूदा विधायकों की टिकटों पर कैंची चलाई है। वहीं बालाघाट विधानसभा सीट पर पार्टी ने कद्दावर मंत्री 7 बार के विधायक और दो बार के सांसद गौरीशंकर बिसेन का टिकट काटकर उनकी बेटी मौसम बिसेन को टिकट दिया है। लिस्ट आने से पहले तक यह माना जा रहा था कि इस बार भी गौरीशंकर बिसेन ही प्रत्याशी होंगे। लेकिन पार्टी ने दिग्गज नेता की जगह उनकी बेटी को उम्मीदवार बनाया है।

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कैसा रहा मौसम का सफर

40 सालों से जिले की राजनीति में अपना लोहा मनवा रहे महाकौशल के कद्दावर नेता गौरीशंकर बिसेन की द्वितीय सुपुत्री, मौसम ने इंजीनियरिंग तक पढ़ाई की। बचपन से राजनीतिक माहौल में पढ़ी-बढ़ी मौसम ने राजनीति के माध्यम से सामाजिक सेवा का दृढ़ निश्चय कर अपने पिता के नक्शे कदम पर चलने की ठानी और पहली बार भाजपा के युवा जोड़ो अभियान की संयोजिका के रूप में भाजपा की सक्रिय राजनीति में पदार्पण किया।इसके बाद उन्होंने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्तमान में वह महिलाओं के बड़े संगठन वामा महिला मंडल, आर्ट ऑफ लिविंग, जिले के अग्रणी महाविद्यालय पीजी कॉलेज की जनभागीदारी अध्यक्ष और भाजपा की जिला महामंत्री के पद पर है। 

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मौसम ने पार्टी का जताया आभार 

बालाघाट विधानसभा से प्रत्याशी घोषित होने पर मौसम बिसेन ने पार्टी नेतृत्व का बहुत-बहुत आभार जताया। उन्होंने कहा कि संगठन ने मुझ पर विश्वास जताकर मुझे भारतीय जनता पार्टी ने एक कार्यकर्ता के रूप में स्वीकार किया है। हमारा पूर्व से ही एक ही मुद्दा है विकास और कल्याण उसी को आधार मानते हुए हम और अच्छा कार्य बालाघाट के लिए करना चाहेंगे। मेरे पिता ने वर्षों से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है, लेकिन अभी भी जो कुछ कसर रह गई है उसको पूरा करना मेरी पहली प्राथमिकता होगी और जनता का विश्वास जीतना उनकी आकांक्षा पर खड़ा उतारना मेरी पहली प्राथमिकता है।

वारासिवनी से निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल को मिला मौका 

वहीं वारासिवनी से पार्टी ने भाजपा के नए सदस्य बने विधायक प्रदीप जायसवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है। प्रदीप जायसवाल निर्दलीय विधायक रहे हैं और हाल ही में उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ली थी।

कौन है प्रदीप जायसवाल

प्रदीप जायसवाल काफी कद्दावर नेता माने जाते हैं। वे 1998 से 2008 तक लगातार तीन बार कांग्रेस के विधायक रहे। लेकिन 2013 का विधानसभा चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी से हार गए थे। इसके बाद कांग्रेस ने 2018 में उनका टिकट काट दिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साले को गोंदिया से आयात करके संजय मसानी को मैदान में उतार दिया। इस बात से नाराज होकर प्रदीप जायसवाल ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और वे भारी मतों से जीत गए। इस बार कांग्रेस प्रदीप जायसवाल को टिकट देना चाह रही थी, लेकिन इससे पहले ही भाजपा ने उन्हें अपने पाले में ले लिया।

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