नीरज काकोटिया, बालाघाट। मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले की लांजी विधानसभा सीट पर पूर्व विधायक किशोर समरीते को बड़ा झटका लगा है। समरीते का नामांकन निर्वाचन अधिकारी ने निरस्त कर दिया है। पूर्व विधायक किशोर समरिते के नामांकन पर कांग्रेस नेता और जनपद उपाध्यक्ष अजय अवसरे ने आपत्ति लेते हुए इसके लोक प्रतिनिधित्व की धरा 8 अपराध 3 में निर्हित निरहर्ता के प्रावधानों के तहत अपात्र होने पर नामांकन निरस्त किये जाने का आवेदन रिर्टर्निंग अधिकारी को दिया था। 

आवेदन में संयुक्त क्रांति पार्टी के प्रत्याशी किशोर समरिते से जवाब मांगा गया था, जिस जवाब की समीक्षा में जवाब संतोषजनक नहीं होने पर रिर्टनिंग अधिकारी ने प्रत्याशी किशोर समरिते का नामांकन निरस्त कर दिया है। बता दें कि लांजी विधानसभा सीट पर समरीते का बड़ा नाम है। वे उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक भी बने थे।  

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इस मामले में रिर्टर्निंग अधिकारी ने बताया कि नाम निर्देशन पत्र की संवीक्षा में अजय अवसरे द्वारा आक्षेप पत्र प्रस्तुत किया गया था। जिसमें अभ्यार्थी किशोर द्वारा उत्तर प्रस्तुत किया गया। जिसमें पाया गया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) में स्पष्ट है कि कोई भी अभ्यार्थी जिसे कम से कम 02 वर्ष की सजा एवं उससे अधिक अवधि से दंडित किया गया है, तो विधानसभा और संसदीय निर्वाचन के लिए अयोग्य होगा, यदि उसके द्वारा यह सजा भुगत ली गइ तो रिहाई की तारीख से आगामी 06 वर्ष तक के लिए नियंत्रता बनी रहेगी। मामले में साफ था कि अभ्यर्थी किशोर समरिते की सजा माफ नहीं की गई है केवल सजा के निष्पादन पर रोक है।

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 इधर नामांकन निरस्त होने पर पूर्व विधायक एवं अभ्यर्थी किशोर समरिते ने कहा कि उन्हें 22 दिसंबर 2009 को 6 साल की सजा हुई थी। जिसकी अपील, अभी लंबित है। चूंकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर भी माननीय न्यायालय का निर्णय आया है लेकिन उसमें अभी स्टे है। जबकि सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग है कि पांच साल की सजा का पीरियड यदि पूरा हो गया है तो उसे अयोग्य करने का कोई नियम नहीं है। 

समरीते ने कहा मुझे लगभग 14 साल हो गया है और यदि निरर्हयता की सूची में नाम होता तो मैं नामांकन ही दाखिल क्यों करता। जब ऐसा ही था तो मुझे 2019 में लोकसभा का चुनाव क्यों लड़ने दिया गया। उस वक्त संज्ञान क्यों नहीं लिया गया। समरिते ने कहा कि इस मामले में वह इलेक्शन कमेटी से बात करेंगे। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है और यह मेरे अधिकारों के खिलाफ है। 

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