अमृंताशी जोशी, भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में काम (ड्यूटी) को लेकर कर्मचारियों के बहानेबाजी के लिए सरकार ने 20-50 का फॉर्मूला बनाया है। सरकार ने काम की गति प्रभावित होने, गंभीर शिकायतें के मामलों के लिए ये सिस्टम बनाया गया है।
इसके तहत कर्मचारी की उम्र 50 साल हो चुकी हो या फिर वह अपने सेवाकाल के बीस वर्ष पूरे कर चुका हो, तो उसकी अनिवार्य सेवानिवृत्ति की अनुशंसा संबंधित विभाग कर सकता है। बहानेबाज अधिकारियों-कर्मचारियों पर लगाम लगाने की कोशिश के लिए ये सिस्टम इस्तेमाल होता है।
निर्वाचन कार्य में विभिन्न कारणों का उल्लेख करते हुए जो कर्मचारी मेडिकल बोर्ड के प्रमाण-पत्र सहित आवेदन प्रस्तुत करेंगे, उनको 20-50 के शिकंजे में कसा जाएगा। फॉर्मला के डर से बिना बहानों के कर्मचारी काम करेंगे। प्रदेश के कई जिलों में कलेक्टर इस आदेश को लागू कर चुके है।
इधर सरकारी जमीन पर कब्जा, पंचायत टैक्स और बिजली बिल बकायादार वाले व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। घर में फ्लश वाला टॉयलेट जरूरी, गाड़ियों में लट्ठ लेकर चलने पर रोक। चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को देना होगा एक शपथ पत्र। जिसमें इन सब बातों का उल्लेख करना अनिवार्य होगा। उम्मीदवार बिना इजाजत के 3 से ज्यादा गाड़ियां लेकर नहीं चल सकेंगे। रैली व सभा आदि के लिए अनुमति लेना अनिवार्य होगी। पंचायत स्तर पर लगने वाले शुल्क के बकाया नहीं होने का प्रमाण पत्र भी देना होगा। आरक्षित वर्ग का सदस्य होने पर जाति प्रमाण पत्र जरूरी है। नामांकन पत्रों की जांच के लिए तय समय सीमा से पहले प्रमाण पत्र नहीं देने पर नामांकन निरस्त होगा।
राज्य निर्वाचन आयोग ने निकाय और पंचायत चुनाव के लिए मोबाइल ऐप बनाया है। मतदाताओं की सुविधा को देखते हुए ‘चुनाव’ नाम से ऐप बनाया है। ऐप में मतदाता सूची में नाम सर्च करना, अभ्यर्थियों की जानकारी प्राप्त करना और चुनाव परिणाम की जानकारी प्राप्त करने जैसी सुविधाएं होगी। निर्वाचन प्रारंभ होने के बाद जानकारी देखी जा सकेगी।
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