भोपाल. अपने लाजवाब स्वाद के लिए पहचाने जाना वाला कड़कनाथ मुर्गा आखिर किसका है ? ये फैसला अंतत: हो गया है. चैन्नई स्थित भौगोलिक संकेतक पंजीयन कार्यालय ने इसका जीआई टैग मध्यप्रदेश को दे दिया है. काले पंख वाले इस मुर्गे की प्रजाति के पेटेंट के लिए छत्तीसगढ़ ने भी दावा पेश किया था.
दोनों राज्यों ने इस काले पंख वाले मुर्गे की प्रजाति के लिए जीआई टैग प्राप्त करने के लिए भौगोलिक संकेतक पंजीयन कार्यालय में दावा किया था. कड़कनाथ के मांस में आयरन और प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है, जबकि कोलेस्ट्रॉल की मात्रा अन्य प्रजाति के मुर्गों से काफी कम पायी जाती है. इसके अलावा, यह अन्य प्रजातियों के मुर्गों के मुकाबले बहुत अधिक दाम में बेचा जाता है.
इस मुर्गे के खून का रंग भी सामान्यतः काले रंग का होता है जबकि आम मुर्गे के खून का रंग लाल पाया जाता है. भौगोलिक संकेतक पंजीयन कार्यालय ने बताया कि चूंकि इस प्रजाति का मुख्य स्रोत राज्य का झाबुआ जिला है. चैन्नई के भौगोलिक संकेतक पंजीयन कार्यालय ने पाया कि इस प्रजाति का मुख्य स्रोत मध्यप्रदेश का झाबुआ जिला है. जबकि, छत्तीसगढ़ की ग्लोबल बिजनेस इनक्यूबेटर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने दावा किया था कि कड़कनाथ को छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में अनोखे तरीके से पाला जाता है और यहां उसका सरंक्षण और प्राकृतिक प्रजनन होता है.
इधर, मध्यप्रदेश को कड़कनाथ का पेटेंट मिलने के बाद भोपाल में सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने खुशिया मनाईं और इस मौके पर सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने कड़कनाथ मोबाइल एप्प भी लांच किया. एप्प की मदद से कड़कनाथ के लिए ऑनलाइन ऑर्डर किया जा सकेगा. वहीं कड़कनाथ की कहां कितनी उपलब्धता है, इसकी भी जानकारी मिल सकेगी.
उधर इस फैसले के आते ही छत्तीसगढ़ के करोड़ों लोगों के दिल टूट गए. आखिरकार कड़कनाथ उनके लिए भी किसी विशिष्ट चीज से कम नहीं थी. गौरतलब है कि बस्तर के आदिवासी इलाकों में कड़कनाथ काफी मात्रा में पाया जाता है और बस्तर व दंतेवाड़ा में इसके पाए जाने व उत्पत्ति के चलते ही छत्तीसगढ़ के लिए कड़कनाथ शान और गौरव का विषय था.