भोपाल. मध्यप्रदेश की नवगठित कमलनाथ की सरकार जल्द ही पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा राजनीतिक दल और दलित कार्यकर्ताओं के शुरू किए गए मामलों का खात्मा करने की कार्रवाई करेगी. मध्यप्रदेश के कानून मंत्री पीसी शर्मा ने यह घोषणा बसपा सुप्रीमो मायावती की सोमवार को आई चेतावनी के बाद की है.
दरअसल, बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को चेतावनी दी थी कि दलित समूहों की ओर से आयोजित 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद के दौरान जिन ‘मासूम कार्यकर्ताओं’ के खिलाफ लगाए गए ‘राजनीतिक मामले’ अगर वापस नहीं लिए गए तो उनकी पार्टी मध्यप्रदेश और राजस्थान की नवगठित कांग्रेस सरकार से समर्थन वापस ले लेगी.
मध्यप्रदेश के कानून मंत्री शर्मा ने कहा कि भाजपा सरकार के खिलाफ लड़ती रही कोई भी पार्टी हो, जिनके कार्यकर्ताओं को जेल भेजा गया है, उनके खिलाफ राजनीतिक मामले वापस लिए जाएंगे. बीते सप्ताह कानून मंत्री ने इस बात का संकेत दिया था कि भाजपा सरकार के 15 साल के कार्यकाल के दौरान राजनीति से प्रेरित राजनीतिक दल और श्रमिक संगठनों के कार्यकर्ताओं के खिलाफ लगाए गए तमाम मामले वापस लिए जाएंगे.
गौरतलब है कि 230 सीटों वाले मध्यप्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के बहुमत से दो कम 114 विधायक हैं. बसपा के दो सदस्य हैं, वहीं कांग्रेस सरकार को समर्थन देने वाली समाजवादी पार्टी का एक विधायक है. इसके अलावा 4 निर्दलीय विधायक हैं. वहीं राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के 99 विधायक और सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल का एक एमएलए है. राजस्थान में बसपा के 6 तो 13 निर्दलीय विधायक हैं.