एसआर रघुवंशी, गुना। मध्य प्रदेश के गुना जिले के कंपासी पंचायत के काली भोंट गांव में एक ऐसा स्कूल है, जहां बच्चों को पढ़ने के लिए छप्पर के नीचे बैठना पड़ता है। यहां पर बैठने के लिए ना तो टेबल कुर्सियां है, ना ही स्कूल की बिल्डिंग है, और ना ही पीने के पानी की व्यवस्था है। बारिश के समय तो छप्पर के नीचे लगी हुई स्कूल की क्लास बंद कर दी जाती हैं।  क्योंकि छप्पर के नीचे बारिश के कारण पूरा गीला हो जाता है, और बच्चों को बैठने तक‎ की जगह नहीं रहती। बच्चे खड़े रहकर पढ़ाई करते हैं। 

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वन विभाग स्कूल‎ की बिल्डिंग बनाने की अनुमति नहीं दे रहा है, जबकि शिक्षा विभाग ने‎ 20 साल पहले स्कूल मंजूर किया था और 2 टीचर भी नियुक्त किए। तब कोई‎ आपत्ति नहीं की गई, 2 बार बिल्डिंग के लिए राशि मंजूर हो चुकी है। लेकिन बिल्डिंग अब तक नहीं बन पाई है। पहले 8 लाख मिले, जो लेप्स हो गए। अब 11.80 लाख मंजूर होकर 1‎ साल से पंचायत के खाते में पड़े हैं। वन विभाग से मंजूरी न मिली तो ये‎ भी लेप्स हो जायेंगे।   

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इतनी परेशानियों के बाद भी बच्चे इस टपरी नुमा‎ स्कूल में पढ़ने आ रहे है। देखना है कि इस गांव के ये ग्रामीण बच्चे और‎ कितने सालों तक इसी तरह भीगते हुए पढ़ते रहेेगें। मामले को लेकर‎ डीएफओ अक्षय राठौर ने बताया कि मुझे इस स्कूल की जानकारी मिली हैं, मैं जल्द इस मामले को समझकर बनवाने की कोशिश‎ करूंगा जो संभव होगा वो किया जाएगा।

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