कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। ग्वालियरहाई कोर्ट ने वन कर्मी पर दर्ज दुष्कर्म की FIR को निरस्त कर दिया है। मामला शादी का वादा करके रेप करने के आरोप का था। युवती ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई थी कि युवक ने उससे शादी का झूठा वादा करके उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। केस रेप की धाराओं में दर्ज किया गया था। 

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हाई कोर्ट के समक्ष आरोपी के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसके आधार पर हाई कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ दर्ज FIR को निरस्त कर दिया है। हाई कोर्ट ने कहा कि फिजिकल रिलेशन बनाते वक्त युवती बालिग थी। 8 साल तक रिलेशन में रहने के बाद तक उसने कोई शिकायत नहीं की। जब युवक ने शादी से इनकार किया तो FIR दर्ज करा दिया। कोर्ट ने कहा वादा तोड़ने का मतलब झूठा वादा नहीं होता है।

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क्या है पूरा मामला ?

दरअसल बालाघाट में पदस्थ वनकर्मी पर ग्वालियर की रहने वाले एक युवती ने दुष्कर्म की FIR दर्ज कराई थी। युवती ने युवक पर शादी का झांसा देकर रेप करने का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके खिलाफ पीड़ित युवक ने कोर्ट में याचिका लगाई थी। इस पर कोर्ट ने FIR निरस्त करने का आदेश दिया है।

सरकारी जमीन को निजी बता कर बेचने वालों को सजा

इधर अन्य मामले में सरकारी जमीन को निजी बता कर बेचने वाले चार आरोपियों को जिला अदालत ने चार-चार साल की सजा सुनाई है। सिरोल में सरकारी जमीन को अपनी बता कर प्लॉट बेच रहे थे आरोपी। 20 जुलाई 2017 को सिरोल थाने में FIR दर्ज हुई थी।  

माता-पिता के साथ मारपीट करने वाले बेटे को सजा

इधर माता-पिता के साथ मारपीट करने वाले आरोपी बेटे को जिला न्यायालय ने तीन साल की सजा सुनाई है। मुरार निवासी अशोक राठौड़ ने मकान अपने नाम करने के लिए माता-पिता के साथ मारपीट की थी। उसके खिलाफ थाटीपुर थाने में सीनियर सिटीजन एक्ट का केस दर्ज किया गया था। 

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