कर्ण मिश्रा,ग्वालियर।  मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) की ग्वालियर खंडपीठ (Gwalior Bench) ने 5 महीने की गर्भवती नवविवाहिता (pregnant woman) की मौत की जांच का जिम्मा सीबीआई (CBI) को सौंपा है। कोर्ट ने पुलिस के गलत ढंग से FIR दर्ज नहीं करने, मामले की जांच में लापरवाही के साथ ही मृतका का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर की लापरवाही को देखते हुए मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि नवविवाहिता की मौत के मामले में लापरवाही माफी योग्य नहीं है।

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कोर्ट ने कहा कि लापरवाही बरतने वाले डॉक्टर और पुलिस के आचरण को देखते हुए पुलिस से जांच कराना सही नहीं है। ऐसे में सीबीआई इस पूरे मामले की जांच करेगी और रिपोर्ट हाईकोर्ट में सौंपेगी। दोषी पाए जाने पर जांच करने वाले पुलिस अधिकारी के साथ पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर के खिलाफ भी सख्त एक्शन लिया जाएगा।

आपको बता दें कि पूरा मामला ग्वालियर जिले के हस्तिनापुर थाना क्षेत्र का है। जहां 31 मई 2022 को गांव खोदु का पूरा की रहने वाली नीतू गुर्जर की शादी गांव दयेली के रहने वाले ध्रुव सिंह के साथ हुई थीं। ससुराल जनों की मांग पर भरपूर दान दहेज दिया गया था। लेकिन ससुराल वाले नीतू से 5 लाख रुपए और एक कार की मांग कर रहे थे। जिसकी पूर्ति ना करने पर उसे प्रताड़ित किया जा रहा था। जिसके बाद 10 अक्टूबर 2022 को नीतू की संदेहास्पद तरीके से मौत हो गई थी। पुलिस पोस्टमार्टम के दौरान यह दर्शाया गया कि नीतू की मौत सांप के काटने से हुई है। नीतू के परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने दहेज हत्या का मामला दर्ज ना करते हुए दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कर अपनी ओर से खानापूर्ति कर दी ।

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पुलिस, एफएसएल और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर की मिलीभगत के खिलाफ नीतू के पिता रामनिवास सिंह ने एक याचिका ग्वालियर हाईकोर्ट में अधिवक्ता अवधेश सिंह भदोरिया के माध्यम से दायर की। याचिका में बताया गया कि पोस्टमार्टम करने वाली डॉक्टरों की टीम ने मिलकर नीतू की मौत का कारण सांप का डसना बता दिया। जिस पर से पुलिस ने भी दहेज हत्या का मामला दर्ज ना करते हुए केवल दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज किया पुलिस और डॉक्टर की मिलीभगत और लापरवाही के चलते गंभीर मामले को दबाने का प्रयास हुआ है।

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याचिका में पेश किए गए दस्तावेजों और सबूतों के आधार पर हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए मामले में विवेचना से जुड़े सभी दस्तावेज एफएसएल के साथ फॉरेंसिक रिपोर्ट को न्यायालय में तलब किया इसके साथ ही मृतका का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों को भी न्यायालय में तलब किया गया। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान बड़ी लापरवाही पाई और हैरानी जताते हुए कहा की करीब 19 सप्ताह की गर्भवती होने के बावजूद मृतका की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतिका के यूट्रस को हेल्दी बताया गया, जबकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतिका के गर्भवती होने का जिक्र ही नहीं किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बिना जांच किए ही डॉक्टरों ने मृतिका की मौत के पीछे सांप के काटने का कारण बता दिया। जबकि नियमानुसार सांप के काटने वाली जगह की स्किन को निकालकर एफएसएल जांच के लिए नहीं भेजा गया।

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इस पूरे मामले में पुलिस ने भी मृतिका के परिजनों की गुहार को नहीं सुना, लिहाजा हाईकोर्ट ने पुलिस,एफएसएल के साथ पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों की लापरवाही को पाया और जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा है। गौर करने वाली बात है सीबीआई की रिपोर्ट में लापरवाही साबित होने पर पुलिस, एफएसएल के साथ पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर की टीम के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा।

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