कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। आज ज्योतिबा फुले की 197वीं जयंती है उनकी जयंती देशभर में मनाई गई, इस वक्त माहौल भी चुनावी है, ऐसे में चुनाव के मौसम में वोट बैंक की खातिर राजनैतिक दलों में उनकी जयंती मनाने की भी होड़ मची हुई हैं। ग्वालियर में महान समाज सुधारक ज्योतिबा फुले की जयंती के मौके पर BSP, कांग्रेस,BJP और वामपंथी दलों के नेताओं ने गोल पहाड़िया स्थित उनकी प्रतिमा पर पहुँचकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये।
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ग्वालियर चंबल अंचल में SC, ST OBC का वोट बैंक अच्छी खासी तादात में हैं,इन वर्गों में शामिल कुछ जातियों के लिए ज्योतिबा फुले उनके आराध्य हैं। ऐसे में उंस वर्ग के वोट पाने के लिये सभी राजनैतिक दलों में ज्योतिबा फुले जयंती मनाने की होड़ देखी गई। BJP कांग्रेस बसपा और कम्यूनिस्ट पार्टी के नेता खुद को ज्योतिबा फुले का सच्चा अनुयायी बता कर एक दूसरे पर निशाना साधते नजर आए।
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कांग्रेस ने खुद को ज्योतिबा फुले के विचारो की समर्थक पार्टी बताते हुए BJP को लोकतंत्र विरोधी पार्टी बताया,और कहा कि BJP को चुनावी माहौल में ज्योतिबा फुले जी की याद आ रही है। लेकिन देश का कोई विशेष वर्ग ही नही सभी BJP के इस चेहरे को पहचान गए है। ऐसे में चुनावी आस्था दर्शाने से भी उन्हें कोई फायदा नहीं होने वाला है।
दूसरी तरफ कांग्रेस के आरोपों के इतर BJP ने ज्योतिबा फुले के बहाने विपक्षी दलों पर निशाना साधा है पलटवार करते हुए BJP सांसद विवेक शेजवलकर ने जवाब देते हुए कहा जिस मूर्ति पर कांग्रेस BSP और वामपंथी नेता ज्योतिबा फुले को माला पहनाकर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं, वह मूर्ति BJP की ही देन हैं, कांग्रेस और बसपा बेमतलब में उन पर तोहमत लगाकर चुनाव के समय सियासत कर रहे है।
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कुल मिलाकर ग्वालियर में ज्योतिबा फुले साहब की जयंती के बहाने राजनैतिक दलों में जमकर सियासत देखने को मिली, इन सभी प्रमुख राजनैतिक दलों में ज्योतिबा फुले का खुद को सच्चा अनुयायी साबित करने की होड़ ने सबका ध्यान खींचा। हालांकि ज्योतिबा फुले साहब के बहाने इन पोलिटिकल पार्टियों ने दलित पिछड़े आदिवासी समुदाय के लोगों में अपनी पैठ बनाने की रेस जारी है। महापुरुष की जयंती पर मचे सियासी घमासान के बीच सवाल यह है कि आखिर ज्योतिबा फुले साहब किसके हैं। कौन इनका सच्चा अनुयायी है। औऱ सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर वर्ग विशेष का मतदाता किस ओर अपना सकारात्मक रुख रखता है।
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