कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर क्राइम ब्रांच की सायबर क्राइम विंग ने एक बड़ी गैंग का पर्दाफाश किया है। शहर की महिला डॉक्टर को डिजिटल हाउस अरेस्ट कर 38 लाख की ठगी करने वाले गैंग के दो सदस्यों को पुलिस ने भोपाल से गिरफ्तार किया है। यह ठगी की राशि को यूएसडीटी के माध्यम से अपने साथियों को यूएई और चीन में भेजते थे। इस बात का खुलासा पकड़े गए गैंग के सदस्य लईक बेग के मोबाइल ट्रांजेक्शन देखने पर हुआ है। उसने करोड़ों रुपये को यूएसडीटी में कन्वर्ट कर भारत के साथ ही विदेश यूएई, चीन के अपने अन्य साथियों को भेजा था। फिलहाल पुलिस पकड़े गए गैंग से पूछताछ के साथ ही उनके अन्य साथियों की तलाश में जुट गई है।
दरअसल डॉ. सुजाता बापट की शिकायत पर यह कार्रवाई हुई है। ग्वालियर SP के निर्देश पर सायबर क्राइम टीम एक्टिव हुई। सायबर क्राईम टीम ने FIR दर्ज कर जांच शुरू की थी। इस दौरान जिन दो खातों में अज्ञात आरोपी ने आवेदिका डॉ. सुजाता वापट को डिजिटल गिरफ्तारी का डर दिखाकर 38 लाख रुपये ट्रांसफर कराये थे। उन खातों से ठगी की राशि कई अलग-अलग बैंक खातों मे ट्रांसफर की गई थी। तकनीकी जानकारी के आधार पर इन खातों में से एक खाता को चिन्हित किया गया जिसमें राशि पहुंची थी। वह खाता भोपाल का होना पाया गया। जिसके खाताधारक की गिरफ्तारी के लिए एक टीम भोपाल रवाना की गई।
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ग्वालियर SP धर्मवीर सिंह ने बताया कि आरोपी खाताधारक शाहरुख खान निवासी एशबाग भोपाल और उसके साथी लईक बेग निवासी बुधवारा भोपाल को गिरफ्तार किया गया। दोनो आरोपीयो से पूछताछ की और उनके मोबाइल फोन की जांच की गई तो खुलासा हुआ कि आरोपी लईक बेग अपने चाइनीज और यूएई के साथियों के मिलकर इस तरह के सायबर फ्रॉड मे शामिल हैं। यह फ्रॉडस्टर चीन-यूएई से ऑपरेट कर रहे हैं। इन लोगों के द्वारा फ्रॉड की राशि को यूएसडीटी के माध्यम से आगे अपने साथियों को यूएई- चीन में भेजा जा रहा था। आरोपियों के अन्य साथियों की तलाश के लिए उनसे पूछताछ की जा रही है कि उन्होंने अभी तक कितने व्यक्तियों के साथ इस तरह का फ्रॉड किया गया है। यह भी जानकारी जुटाई जा रही है।
यह है पूरा मामला
गौरतलब है कि डॉ सुजाता बापट ने FIR दर्ज कराते हुए पुलिस को बताया था कि राजीव गुप्ता नाम के व्यक्ति का उनके पास कॉल आया था। उसने कहा था कि वह डीएचएल से बात कर रहा है। आपका एक पार्सल लखनऊ से म्यांमार के लिए बुक हुआ है। जिसमें 20 पासपोर्ट, तीन क्रेडिट कार्ड, एक लैपटॉप, 50 ग्राम एमडीएमए और 04 किलोग्राम क्लॉथ हैं। बुकिंग एड्रेस ए-16 ओमनगर रोड पवनपुरी आलमबाग लखनऊ से हुआ है। रिसीवर का एड्रेस जॉन डेबिड नि० हाउस न0 207 सिटी डेगान स्टेट यांगून म्यांमार बताया। मैने उसको मना किया कि मेरा पार्सल नहीं है तो उसने बोला कि कुछ गड़बड़ है तुरन्त आप आलमबाग पुलिस स्टेशन में शिकायत करें। मैने कहा कि मैं तो ग्वालियर में हूं, तो उसने बोला कि मैं आपकी कॉल पुलिस स्टेशन कनेक्ट करता हूं । तो उसने बोला कि आप टेलीग्राम यूज करती हैं ? जिस पर मैने कहा नहीं। उसने टेलीग्राम डाउनलोड करने के लिये कहा तो मैने टेलीग्राम डाउनलोड करके चालू कर लिया।
फिर टेलीग्राम पर वीडियो कॉल आया। उस वीडियो में एक पुलिस यूनिफार्म का व्यक्ति पुलिस स्टेशन जैसे कमरे जिसमे पुलिस से संबंधित झंडा, पुलिस जैसा लिखा हुआ दिखा, तो उसने कहा- आपका कैश सीबीआई के पास है। आपका नाम अजय मिश्रा केस ह्यूमन ट्रैफिकिंग व मनी लॉन्ड्रिंग में संदिग्ध है, मै सीबीआई ऑफीसर से आपकी बात कराता हूं। उसने किसी से कहा कि मैडम से बात करिये सर तो उस व्यक्ति ने बोला कि मैडम को अरेस्ट करो, उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट व असेट सीज ऑर्डर है। इस पर पुलिस वाले ने कहा कि मैडम का आधार व बाकी की जानकारी से लग रहा है कि मैडम निर्दोष हैं। उसने फिर दोबारा सीबीआई अफसर से मेरी बात कराई तो उन्होंने मुझसे कहा कि म्यांमार में 60 लोगों के आंखें, नाक, कान निकाल लिये हैं, जो ह्यमून ट्रेफिकिंग में है।
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उनके परिवार के 3 करोड 80 लाख रुपये आपके एचडीएफसी अकाउन्ट में आए हैं। मैने कहा कि मेरा अकाउंट एचडीएफसी बैंक में नहीं है। उन्होंने अकाउंट की डिटेल्स ले ली और कहा कि इसके बारे में आप अपने परिवार के किसी भी व्यक्ति से बात नही करेंगी और न ही किस का कॉल रिसीव करेंगी। उन्होने एक कॉन्फीडेन्सियल एग्रीमेन्ट का लेटर भी मुझे भेजा था। मेरे द्वारा फोन पर बात कर रहे व्यक्तियों के अनुसार 38 लाख रुपये उनके बताये बैंक खातों मे ट्रांसफर कर दिये गये थे। लेकिन अपने पैसे जब वापस मांगे जाने पर उन्होंने पैसे वापस नहीं किये। तब मुझे मालूम पड़ा कि मेरे साथ ठगी हुई है।
बहरहाल पुलिस का कहना है कि कानून में डिजिटल हाउस अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है। अगर आपके पास ऐसा कोई कॉल आता है, जिसमें अपने आप को पुलिस अधिकारी बताकर आपके पार्सल या आपके दस्तावेजों पर कोई अवैध कार्य होना बताकर डिजिटल हाउस अरेस्ट किया जाता है। तो इसकी शिकायत अपने संबंधित पुलिस थाने में जरूर करें।
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