कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। श्रावण महीने में देशभर में लोग शिव आराधना में लगे हुए हैं। ग्वालियर में भी सैकड़ों साल पुराने कोटेश्वर महादेव मंदिर पर इन दिनों भक्तों का तांता लगा हुआ है। सिंधिया राजवंश ने इस मंदिर की पुनर्स्थापना की थी। मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों की सभी मुरादे पूरी होती है।

ग्वालियर के कोटेश्वर महादेव मंदिर पर सावन के महीने में शिव भक्तों का मेला लगा है, दूर-दूर से भक्त यहां आकर भगवान भोलेनाथ की भक्ति में लीन नजर आते हैं। कोटेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग हजारों साल प्राचीन है। राजा महाराजाओं के दौर में यह शिवलिंग किले पर स्थापित था। ग्वालियर किले पर शिवमंदिर में स्थापित इस शिवलिंग को औरंगजेब ने ग्वालियर किले से नीचे फेंक दिया था, जो तलहटी में लगभग 500 मीटर दूर जाकर गिरा था।

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उस दौरान आदिवासियों ने इन्हें उठाया और जंगल की ओर चल दिए, लेकिन जब उन्हें प्यास लगी तो शिवलिंग को नीचे रख दिया और उसी स्थान पर शिवलिंग स्थापित हो गया। आज भी शिवलिंग थोड़ा तिरछा दिखाई देता है। किले के नीचे उसी स्थान पर मंदिर बनाया गया है। शिवलिंग को कोटेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। सिंधिया राजवंश ने सन 1880 में इस की पुनर्स्थाना की थी।

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कोटेश्वर महादेव मंदिर में सुबह 4.00 बजे मंदिर के पट खुलते हैं, फिर भगवान का जलाभिषेक होता है। इसके बाद श्रृंगार और प्रातः आरती होती है और भक्तों के दर्शन का सिलसिला शुरू होता है। सुबह 10 बजे भगवान कोटेश्वर को भोग लगाया जाता है। साथ ही भोग आरती होती है। वहीं शाम के समय संध्या आरती होती है। कोटेश्वर महादेव मंदिर पर साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है। लेकिन सावन महीने की बात ही निराली होती है। श्रावण मास में इस मंदिर में ग्वालियर के अलावा बाहर से भी भक्त दर्शन के लिए आते हैं। यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि भगवान कोटेश्वर उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं, सारे संकट दूर करते हैं।

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छात्र.छात्राएं कहते हैं कि भगवान कोटेश्वर के दरबार में आने से उन्हें मानसिक शांति मिलती है और पढ़ाई में मन लगता है। कोटेश्वर महादेव मंदिर के अंदर सैकड़ों साल पुराने भित्ति चित्र भी बने हुए हैं, जो सनातन संस्कृति और जीवन का संदेश देते हैं। इस मंदिर का संचालन सिंधिया ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। जहां साल भर अलग- अलग आयोजन होते हैं। ग्वालियर चंबल अंचल के साथ ही दूर से भी भक्त यहां आते हैं और भगवान कोटेश्वर के दरबार में सुख शांति समृद्धि की कामना करते हैं।

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