कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में स्थित जैन धर्म के तीर्थ स्थल में भीषण आग लग गई। पहाड़ी इलाके में आग के तांडव के बीच फायर ब्रिगेड और पुलिस ने मोर्चा संभाला। वहीं बस्ती की ओर तेजी से बढ़ रही आग को लेकर पड़ाव टीआई इला टंडन ने खुद मोर्चा संभाला और आग बुझाने में जुट गई। थाना प्रभारी के नेतृत्व में पर्वत की खड़ी चढ़ाई को पार कर किला तलहटी में पूरा अमला पहुंचा और आग पर काबू पाया गया।

दरअसल, ऐतिहासिक ग्वालियर किले की तलहटी में गोपाचल पर्वत है, जो कि जैन तीर्थ स्थान है। बड़े क्षेत्र में पहाड़ी इलाका होने के चलते सूखे पत्तों की भरमार है और इस बीच किसी शरारती तत्व ने उसमें आग लगा दी। कुछ ही देर में आग ने विकराल रूप धारण कर लिया। आगजनी सूचना मिलते ही पुलिस बल और फायर ब्रिगेड टीम मौके पर पहुंची। करीब 3 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। इस दौरान करीब 10 से ज्यादा दमकल गाड़ियों के जरिए पानी की बौछार की गई।

जैन तीर्थ स्थल प्रबंधन का कहना है कि असामाजिक तत्वों ने आग लगाई है। पड़ाव थाना प्रभारी के मुताबिक, बस्ती की ओर आग फैल रही थी, सभी ने मिलकर समय रहते आग पर काबू पाया। छोटे-छोटे टुकड़ों में जो आग धधक रही है, उसे भी पूरी तरह से बुझा लिया जाएगा। वहीं नगर निगम के फायर ब्रिगेड नोडल अधिकारी डॉ. अतिवल यादव का कहना है कि समय रहते काबू पा लिया गया। वरना बड़े क्षेत्र में आग फैल सकती थी। गोपाचल पर्वत एक धार्मिक स्थान है, जहां कई प्राचीन जैन मूर्तियां हैं और काफी संख्या में वन्य जीव भी रहते हैं। तत्परता के चलते बड़ी घटना को टाला गया।

गौरतलब है कि गोपाचल तीर्थ क्षेत्र पर्वत महाभारत कालीन है। यह तीर्थ स्थल भगवान नेमिनाथ और भगवान पार्श्वनाथ की देशनास्थली और सुप्रतिष्ठित केवली की निर्माण भूमि है। भगवान पार्श्वनाथ की विश्व की सबसे विशाल 42 फुट की उत्तुंग और 30 फुट चौड़ी पद्मासन प्रतिमा भी यहां मौजूद है। जैन धर्म संस्कृति कला और साहित्य का संगम स्थल होने के साथ ही महाकवि रइधू की साधना स्थली के रूप में भी यह स्थान जाना जाता है। खास बात यह है कि गोपाचल पर्वत पर 26 गुफा मंदिरों में विशाल पद्मासन और खडगासन प्रतिमाएं होने के साथ ही त्रिकाल चौबीसी भी मौजूद है। यही वजह है कि यह एक बड़ा पर्यटन स्थान भी है।

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