कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। आज पूरे देश भर में दशहरे की धूम है। वहीं मध्यप्रदेश के ग्वालियर में सिंधिया परिवार भी परंपरागत रूप से दशहरे का त्यौहार मना रहा है। आज परंपरा के तहत केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने बेटे महान आर्यमन सिंधिया के साथ देवघर में देव दर्शन और पूजन किया।

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परंपरा के अनुसार, राजशाही पोशाक पहनकर ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके बेटे महान आर्यमन सबसे पहले गोरखी स्थित देव घर पहुंचे, जहां उनकी रियासत कालीन परंपरा के तहत शहनाईयों के बीच अगवानी की गई। पूजा के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया और महान आर्यमन तलवार हाथ में लेकर देवघर पहुंचे। करीब आधे घंटे तक पुजारियों ने विधि विधान से देवघर में ज्योतिरादित्य सिंधिया से पूजन करवाया। देवघर में पूजन अर्चन के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया और महान आर्यमन सिंधिया दोनों हाथों में तलवार लेकर राजशाही मुद्रा में बैठे थे, यहां सिंधिया के पूर्व सेनापति परिवार ने राजकीय परंपरा के साथ स्वागत किया गया।

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इस दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि दशहरे के इस पावन पर्व पर हमारे प्रदेश वासियों को देशवासियों को दिल से बधाई। असत्य पर सत्य की जीत के इस दिन हमारा प्रदेश और देश विकास के पथ पर आगे बढ़ता रहे यही कामना भगवान से की है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का आशीर्वाद देश पर बना रहे और हम उनके बताए हुए मार्ग पर चलते रहें। हमने यही कामना की है।

सिंधिया ने शमिपूजन भी किया

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दशहरे के मौके पर शमिपूजन भी किया। शाम के वक्त ज्योतिरादित्य सिंधिया और युवराज महान आर्यमन राजसी वेशभूषा में मांढरे की माता स्थित दशहरा मैदान पहुंचे, यहां परंपरागत शमी वृक्ष का पूजन किया। सिंधिया ने जैसे ही शमी पूजन पूरा किया और शाही तलवार से शमी वृक्ष को काटा वैसे ही आमजन शमी के पत्तों को लूटने के लिए टूट पड़े। शमी पेड़ के पत्तों को सोने का प्रतीक समझा जाता है। यही कारण है कि पूजन के बाद आम लोग यानी ग्वालियर की प्रजा महाराज को शमी रूपी सोने की मोहरे राजकोष वृद्धि के लिए देती है। इस शाही परम्परा के मौके सिंधिया के शमिपूजन के दौरान मराठा सरदारों और उनके चाहने वाले भी मौजूद रहे।

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