हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला किया है। साल 1966, 1970 और 1980 में केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने से रोकने के फैसले को कोर्ट ने बदल दिया है। अब केंद्रीय कर्मचारी और उनके बच्चे आरएसएस की गतिविधियों में शामिल हो सकेंगे।

सितंबर 2023 में इसको लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में लगी याचिका पर सुनवाई करते हुए HC ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जो कार्यप्रणाली है, वह राष्ट्र और समाज हित में चल रहे है। ऐसी किसी संस्था जो विश्व पटल पर कार्य कर रही है, उसके कार्यप्रणाली को बिना समझे और जांचे जो प्रतिबंध लगाया था वह असंवैधानिक है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि अब सरकार संशोधन को अपनी ऑफिशल वेबसाइट पर डालें, ताकि देश भर में लोगों को इस आदेश के बारे में पता लग सके।

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केंद्रीय कर्मचारी रहे पुरुषोत्तम गुप्ता ने यह याचिका इंदौर हाई कोर्ट में दायर की थी, जिसमें कि यह उल्लेख किया गया था कि रिटायर्ड होने के बाद वह संगठन में काम करना चाहते हैं, लेकिन रोक की वजह से नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि इस मामले पर हाईकोर्ट ने केंद्र को जवाब देने के लिए कई बार समय दिया था, जिसका 9 जुलाई को केंद्र सरकार ने जवाब पेश किया था।
इसके बाद हाईकोर्ट ने कहा कि संबंधित सर्कुलर में जो संशोधन किया गया है, उसे ऑफिशल वेबसाइट पर डाला जाए।

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याचिकाकर्ता पुरुषोत्तम गुप्ता ने कहा कि वह सेवा में रहते हुए भी संघ को करीब से देखते थे और उनकी इच्छा थी कि वह भी संघ कार्य करें, लेकिन इस मामले में जारी आदेश में 7 साल की सजा होने की बात होने के कारण वह कभी भी सेवा में रहते हुए आरएसएस में काम नहीं कर पा रहे थे। इसीलिए सेवा से हटने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है।

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