हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक सख्त आदेश दिया है। अब विधायक, महापौर और पुलिस अफसर भी निजी गाड़ियों में हूटर या सायरन नहीं लगा सकेंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने इसे सात दिनों के अंदर हटाने के निर्देश भी दिए है।
एमपी हाईकोर्ट ने एक अहम अंतरिम आदेश में कहा है कि अब कोई भी निजी वाहन, चाहे वह विधायक, महापौर या फिर पुलिस अफसर का ही क्यों न हो…अगर उस पर अवैध हूटर, सायरन या फ्लैशलाइट लगी है, तो वह गैरकानूनी है और उसे 7 दिन के भीतर हटा दिया जाए। न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति बिनोद कुमार द्विवेदी की खंडपीठ ने ये निर्देश एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए। यह याचिका पूर्व पार्षद महेश गर्ग की ओर से अधिवक्ता मनीष यादव और अदिति मनीष यादव ने दायर की थी।
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याचिका में कहा गया कि मार्च 2025 में राज्य सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर सभी एसपी और आरटीओ अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि ऐसे वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, जिन पर नियमों के विपरीत हूटर, सायरन और फ्लैशलाइट लगी हो। बावजूद इसके न तो पुलिस और न ही आरटीओ ने कार्रवाई की। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट में ऐसे कई फोटो पेश किए गए, जिनमें पुलिस अधिकारी अपने निजी वाहनों पर हूटर और फ्लैशलाइट लगाए दिखे।
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कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विधायक, महापौर या पुलिस अफसर भी अपने निजी वाहनों पर ऐसी चीजें नहीं लगा सकते। अदालत ने प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी, इंदौर पुलिस कमिश्नर, डिप्टी कमिश्नर और ट्रांसपोर्ट कमिश्नर और आरटीओ को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि अगर आदेश का पालन नहीं होता है तो कोर्ट की अवहेलना इसे माना जा सकता है।
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