कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सिविल जज भर्ती परीक्षा नियमों को चुनौती देने वाली सभी याचिका को खारिज कर दिया है। HC ने कहा कि जनहित में किए संशोधन जायज है। चीफ जस्टिस ने 170 पेज का फैसला भी सार्वजनिक किया है। सभी याचिकाओं पर 20 फरवरी 2024 को सुनवाई हुई थी। 1 अप्रैल को ओपन कोर्ट में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

मंगलवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सिविल जज भर्ती परीक्षा नियमों को चुनौती देने वाली 15 याचिकाओं को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही HC ने इस मामले पर अपना 170 पेज का फैसला भी सार्वजनिक कर दिया। दरअसल, कुछ अभ्यर्थियों ने सिविल जज भर्ती परीक्षा नियमों को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस संजय मिश्रा ने 20 फरवरी 2024 और 1 अप्रैल 2024 को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सार्वजनिक रूप से जारी कर दिया है।

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि याचिका के माध्यम से दी गई दलीलों से कोर्ट इत्तेफाक नहीं रखता। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि न्यायहित और जनहित में संशोधित नियम पूरी तरह उचित है। लिहाज़ा ये याचिकाएं खारिज की जाती है। इसके साथ ही परीक्षा के नियमों में किसी भी तरह के कोई बदलाव से भी इंकार कर दिया गया।

आपको बता दें कि कई सारी याचिकाओं के माध्यम से सिविल जज भर्ती नियमों की वैधानिकता को चुनौती दी गई थी। संशोधित नियम के तहत एलएलबी परीक्षा में बिना एटीकेटी के 70 प्रतिशत अंकों के साथ पास करना और तीन साल की वकालत के अनुभव के साथ सिविल जज परीक्षा के लिए पात्रता निर्धारित की गई है। साथ ही साक्षात्कार में 40% अंकों की अनिवार्यता सहित अन्य प्रावधान किए गए थे, जिसे लेकर कई अभ्यार्थियों ने होईकोर्ट में चुनौती दी थी।

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