चंकी बाजपेयी, इंदौर। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के ग्रामीण अंचल में स्थित बेटमा थाने में एक पीड़िता ने फरवरी 2012 में गैंगरेप का केस दर्ज कराया गया था। पुलिस के तमाम जांच पड़ताल के बाद 15-16 आरोपी बनाए गए थे, जिन्हें जिला न्यायालय ने 2013 में उम्र कैद की सजा हुई थी। लेकिन इन आरोपियों में से दो आरोपियों को उच्च न्यायालय ने बरी कर दिया है।
इस मामले में वकील अधिवक्ता जिल शर्मा के ने बताया कि बहुचर्चित गैंगरेप मामले में पीड़िता ने बेतवा थाने पर शिकायत की थी कि 15-16 लोगों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया था। पुलिस ने पीड़िता के कहे अनुसार, दुष्कर्म सहित विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया और जांच पड़ताल करते हुए तमाम आरोपियों को गिरफ्तार भी किया था।
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एक साल बाद 2013 में न्यायालय ने आरोपियों को दोषी पाते हुए और सबूत के आधार पर उम्र कैद की सजा सुनाई थी। लेकिन जिला न्यायालय के फैसले को लेकर दो आरोपियों ने उच्च न्यायालय में फैसले को लेकर चुनौती प्रस्तुत की थी। जिसकी डबल बेच में सुनवाई की गई। जिसको लेकर आज 12 साल के बाद उच्च न्यायालय से जावेद और टीपू को दोष मुक्त करते हुए बरी कर दिया गया है। अन्य आरोपियों की सजा बरकरार रखी गई है।
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