हेमंत शर्मा, इंदौर। इंदौर के सरकारी लॉ कॉलेज में विवादित किताब मामले में इस्तीफा देने वाले प्रिंसिपल इनामुर रहमान को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। उनकी तरफ जो अग्रिम जमानत याचिका लगाई गई थी, उसे इंदौर कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
न्यायलय ने इसके पीछे तर्क दिया गया कि “शासकीय लॉ कालेज में एक ऐसी पुस्तक जिसमें लेखक ने जानबूझकर असत्य एवं बिना किसी साक्ष्य के आधार पर हिन्दू धर्म के खिलाफ नितांत झूठी टिप्पणियां की गई हैं और उसे विधि छात्रों को रेफर किया जा रहा है, जिसे देखते हुए न्याय दृष्टांतों में प्रतिपादित सिद्धांतों के आधार पर आवेदनकर्ता को अग्रिम जमानत का लाभ दिया जाना उचित प्रतीत नहीं होता है।
ये है पूरा मामला
इंदौर के सरकारी लॉ कॉलेज में एलएलएम थर्ड सेमेस्टर की पढ़ाई में सामूहिक हिंसा पद्धति की बुक में हिंदू विरोधी लेख लिखे जाने से एबीवीपी के छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया था। इसके साथ ही एबीवीपी ने कॉलेज की गेस्ट फैकल्टी पर आरोप लगाया था कि गेस्ट फैकल्टी कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं पर मुस्लिम छात्रों के साथ पब, रेस्टोरेंट में जाने के लिए दबाव बनाते हैं। ऐसा नहीं करने वाले छात्रों के नंबर काट दिए या कम कर दिए जाते हैं। उन्हें फेल भी कर दिया जाता है। मामला सामने आने के विरोध के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने 6 फैकेल्टियों पर जांच के आदेश जारी किए हैं।
वहीं गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने इंदौर कमिश्नर को इस बात से अवगत कराया था साथ ही मामले की जांच कर एफआईआर दर्ज करने को भी कहा था। जिसके बाद इस मामले में लेखिका डॉ. फरहत खान, प्रिंसिपल इनामुर रहमान, प्रोफेसर डॉ. मिर्जा मोजिज और अमर लॉ पब्लिकेशन के प्रकाशक के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया। इस बीच कॉलेज के प्रिंसिपल इनामुर्रहमान ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
MP के सरकारी लॉ कॉलेज में धार्मिक कट्टरताः विरोध के बाद बुक के लेखक, प्रकाशक और कॉलेज प्रबंधन पर FIR
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