हेमंत शर्मा, इंदौर। नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव से पहले मध्यप्रदेश में स्वातंत्र्य वीर सावरकर पर पॉलिटिक्स शुरू हो गई है। दरअसल, 28 मई को विनायक दामोदर सावरकर की जयंती है। इस दिन बीजेपी प्रदेश में वीर सावरकर पर बनी फीचर फिल्म का प्रदर्शन करने जा रही है। इस पर कांग्रेस ने आपत्ति जताई है।

मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की सरगर्मी के बीच भारतीय जनता पार्टी स्वातंत्र्य वीर सावरकर की जयंती 28 मई को भुनाने में लग गई है। बीजेपी राज्यभर में विनायक दामोदर सावरकर पर बनी फिल्म का प्रदर्शन करने जा रही है। इस फिल्म को देखने के लिए सभी लोगों से अपील भी की जा रही है, यानि सावरकर के बहाने वोटों का धुर्वीकरण करने की कोशिश की जा रही है। बीजेपी सावरकर को अपना आदर्श मानती है, वो उन्हें असल हिंदूवादी नेता के तौर पर पेश भी करती है और स्थानीय चुनाव से पहले भी वो ऐसा करने जा रही है, जिससे बहुसंख्यक वोटरों का पोलराइजेशन हो और इसका फायदा बीजेपी को मिले। सबसे बड़ी बात एमपी सरकार सावरकर फिल्म को प्रोजेक्ट कर रही है। मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग के तहत आने वाले अलाउद्दीन खां संगीत अकादमी के निदेशक जयंत भिंसे का कहना है कि जिसको जो समझना हो, वो समझे हम तो फिल्म दिखाएंगे। हर स्कूल में ये फिल्म दिखाई जानी चाहिए, जिससे देश का भविष्य वीर सावरकर के बलिदान को समझ सके।

युवा पीढ़ी को भ्रमित कर रही बीजेपी- कांग्रेस

वहीं कांग्रेस को वीर सावरकर फिल्म दिखाए जाने पर आपत्ति है। कांग्रेस के प्रदेश सचिव राकेश सिंह यादव का कहना है कि बीजेपी के पास चुनाव में जाने के लिए मुद्दे नहीं हैं, इसलिए वीर सावरकर का सहारा ले रही है। सावरकर की फिल्म दिखाकर और गोडसे की पूजा कर बीजेपी और आरएसएस युवा पीढ़ी को भ्रमित कर रहे हैं, क्या ये संभव है कि किसी फिल्म में रावण को शिव पूजा करते हुए दिखाया जाए तो रावण का चरित्र भगवान श्रीराम से उज्जवल हो जाएगा। सावरकर ने जेल से निकलने के लिए अंग्रेजों से माफी मांगी थी। ये तथ्य इतिहास में दर्ज है। बीजेपी में यदि सही में राष्ट्र भक्ति की भावना है तो उसे सच्चे अमर क्रांतिकारी भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल की फिल्में दिखानी चाहिए, जो सच्च में इतिहास में दर्ज है, लेकिन उसे दिखाने की बजाय बीजेपी वोटों के लालच में सावरकर की फिल्म दिखाने की साजिश कर युवाओं को भ्रमित करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस इसकी निंदा करती है।

दुष्प्रचार कर रही कांग्रेसबीजेपी

इधर, बीजेपी का कहना है महापुरूषों के चरणों के निशान अभी मिटे नहीं, क्योंकि हम उनके कदमों पर चले नहीं हैं, स्वातंत्र्य वीर सावरकर वो इंसान थे जिन्हें अंग्रेजों ने दो-दो बार आजीवन कारावास की सजा दी। उन्होने कालापानी की सजा भुगती, ऐसे महानतम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के बारे में कांग्रेस का दुष्प्रचार अपनी जगह है। भारतीय जनता पार्टी चाहती है कि सावरकर जैसे हमारे देश के महान चरित्रों को आने वाली पीढ़ी भलिभांति जाने, इसलिए इस प्रकार के प्रयास आवश्यक हैं।

कौन थे सावरकर ?

28 मई 1883 को नासिक के भगूर गांव में जन्मे विनायक दामोदर सावरकर क्रांतिकारी होने के साथ-साथ लेखक, वकील और हिंदुत्व की विचारधारा के बड़े समर्थक थे। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अंग्रेजों ने सावरकर को कालापानी की सजा दी थी। उनका निधन 26 फरवरी 1966 को हुआ था। बीजेपी सावरकर को एक अहम स्वतंत्रता सेनानी मानती है। वे दुनिया के ऐसे पहले कवि थे जिन्होने अंडमान के एकांत कारावास के दौरान जेल की दीवारों पर कील और कोयले से कविताएं लिखीं और फिर उन्हें याद किया। जेल से रिहा होने के बाद याद की गई 10 हजार पंक्तियों को दोबारा लिखा।

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