यत्नेश सेन, देपालपुर (इंदौर) फर्जी वादे और खिलवाड़ तो आज के दौर में आए दिन सामने आते हैं लेकिन हैरत तब होती है, जब लोग शिक्षा के मंदिर में भी खिलवाड़ करने से नहीं चुकते। जहां भी अपने लालच के लिए शासन सत्ता और विभाग को भी नियम कानून कायदे ताक पर रखकर ठेंगा दिखाते नजर आते हैं। ताजा मामला देपालपुर में सामने आया हैं। जहां शासकीय भागीरथी सिलावट महाविद्यालय में एक प्रोफेसर की फर्जी नियुक्ति का मामला इन दिनों गर्माया हुआ है। हालांकि यह कितना सत्य या असत्य है, इस बात की पुष्टि लल्लूराम डॉट कॉम नहीं करता है।
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दरसअल हाल ही में वर्तमान जन भागीदारी अध्यक्ष संतोष मारू ने उच्च शिक्षा विभाग में उच्च पदस्थ अधिकारियों तक प्रोफेसर अनुपम वर्मा की नियुक्ति को फर्जी बताते हुए कागजों और नोटिस के साथ शिकायत की है। जिसमें उन्होंने बताया है कि शासकीय भागीरथ जी सिलावट महा विद्यालय में यह प्रोफेसर सालों से एक ही स्थान पर जमे हुए है। इतना ही नहीं उन्होंने शिकायत में जिक्र किया है कि वर्षों पहले 20 सितंबर 2011 को आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग द्वारा कारण बताओं नोटिस भी जारी किया गया था। जिसमें जिक्र किया गया था कि अनुपम वर्मा की नियुक्ति अवैध है। इन्हीं कागजों के आधार पर अब जन भागीदारी अध्यक्ष ने उच्च शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों को लिखित में शिकायत की है।
दरसअल अनुपम वर्मा अनुकंपा नियुक्ति पर कार्यरत है, लेकिन शिकायतकर्ता ने शिकायत में जिक्र किया है कि जब अनुपम वर्मा को उच्च शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्ति दी गई थी तब पत्र में जिक्र किया गया था कि उन्हें लोक सेवा आयोग द्वारा पद विज्ञापित होने पर एवं लोक सेवा आयोग द्वारा चयन होने पर ही नौकरी पर जारी रखा जाएगा। लेकिन वर्मा ने शिक्षा विभाग के इन नियम कायदों को दरकिनार करते हुए ना तो कोई लोक सेवा आयोग के अंतर्गत परीक्षा दी और ना ही वहां से उनका किसी प्रकार से कोई चयन हुआ। बावजूद उसके नियुक्ति आदेश 24 सितम्बर 1986 से लेकर अब तक एक ही स्थान देपालपुर में पदस्थ हैं।
शिकायत के 2 माह बीतने के बाद भी नही हुई कोई कार्रवाई
इस पूरे मामले में जन भागीदारी अध्यक्ष द्वारा 29 जून 2024 को अपर मुख्य सचिव मंत्रालय उच्च शिक्षा विभाग को शिकायत की गई थी। लेकिन शिकायत करने से लेकर आज दिनांक तक दो माह बीतने के बाद भी मामले में कोई कार्रवाई सामने नहीं आई। यहां तक की किसी भी अधिकारी ने इस और ध्यान देना भी उचित नहीं समझा।
वहीं इस पर प्रोफेसर अनुपम वर्मा कहना है कि 2011 में मुझे नोटिस प्राप्त हुआ था। उसमें कुछ त्रुटि थी, मैंने उसमे सुधार कर ऊपर अधिकारियों को जवाब तलब कर दिया। रही बात शिकायत की तो जिसको जहां शिकायत करना है कर सकता है।
प्रभारी प्रचार्य अनिता जैन ने कहा कि नियुक्ति सही है या गलत मुझे इसकी जानकारी नहीं है। जिसने नियुक्ति दी वो जाने। वहीं पूरे मामले में शिकायत कर्ता संतोष मारु का कहना है कि मेरे पास पुख्ता सबूत है कि प्रोफेसर की कैसे नियुक्ति हुई है। मैंने संबंधित विभागों में पत्र भेज कर शिकायत की है। अगर समय रहते उचित कार्रवाई नहीं हुई तो मैं आगे न्यायालय की भी शरण लूंगा।
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