हेमंत शर्मा, इंदौर। मन में अगर कुछ कर गुजरने की चाह हो तो उसे हर मुश्किल भी संभव बनाया जा सकता है। ऐसी ही कुछ कहानी है इंदौर के डीआरपी लाइन में पदस्थ आरक्षक की है। जिन्होंने बुधवार को 9 दिव्यांग सहित 31 जोड़ों की शादी करवाई। प्रधान आरक्षक अब तक 681 शादियां करवा चुके हैं। 12 साल से यह सिलसिला जारी है।
हम बात कर रहे हैं आरक्षक किशन चौहान की, जिन्होंने 12 साल पहले गायत्री जयंती पर हरिद्वार से मिली प्रेरणा के बाद इंदौर में भी बिन माता-पिता की बच्चियों की शादी करने का सिलसिला शुरू किया। हरिद्वार में एक ऐसी बिन माता-पिता की बच्ची की शादी हो रही थी। इसके बाद इंदौर आकर दोस्तों के संग पंडित के साथ बैठकर एक बच्ची का विवाह करने का पहला प्रयास किया। जिसमें खुद की सैलरी मिलाकर बच्चों की शादी करवा दी। उसके बाद से ही यह सिलसिला लगातार जारी है और आज 12 साल बाद भी इस सिलसिले को कायम रखे हुए हैं।
किशन चौहान बताते हैं कि बिन माता-पिता की बच्चियों की शादी करवाने के इस सफर पर दोस्तों के साथ निकला था और आज कारवां चलते-चलते इतना बढ़ गया। आज कोई भी परेशानियां शादी करने में नहीं आती हैं। इन शादियों को करने के लिए इंदौर शहर के कई दानदाता अब हमारे साथ जुड़ गए हैं। हमने बुधवार को इंदौर में 31 बच्चियों की शादी करवाई है। जिसमें दिव्यांग शामिल है। बच्चियों का विवाह करने का सिलसिला आगे भी लगातार जारी रहेगा।
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एक साल में एक बार सभी बच्चियां जो बिन माता-पिता की है, वे हमसे संपर्क करते हैं और हम उनकी निशुल्क शादी करवा देते हैं। इस शादी को करवाने के लिए घर का खर्चा निकालने के बाद सैलरी से जो पैसा बचता है उस पैसे को मिलाने के बाद दानदाता भी अपनी भूमिका इसमें अदा करते हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 681 शादियां करवा चुके हैं और यह सिलसिला आगे भी लगातार जारी रहेगा।
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