हेमंत शर्मा, इंदौर। इंदौर-बुधनी रेल लाइन के लिए सात साल पहले किए सर्वे के बाद रेलवे ने किसानों की जमीन अधिग्रहण शुरू कर रहा है। रेलवे के इस कार्रवाई के खिलाफ प्रभावित किसानों ने मोर्चा खोल दिया है। किसानों का कहना है कि रेलवे सात साल पहले किए सर्वे के आधार पर मुआवजा की बात कर रहा है जबकि जमीन के दाम बढ़ गए है। जमीन का मुआवजा वर्तमान दर पर दी जाए। बताया जाता है कि सिंधिया समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट की जमीन भी इस रेल लाइन के तहत आ रही है।
इंदौर बुधनी रेलवे लाइन को लेकर रेलवे की जमीन का अब अधिग्रहण शुरू हो रहा है। ऐसे में 7 साल पहले हुए जमीन के सर्वे के आधार पर ही रेलवे प्रशासन जमीन अधिग्रहण कर रहा है। किसानों ने जमीन अधिग्रहण को लेकर सांवेर विधानसभा क्षेत्र में महापंचायत बुलाई। इस महापंचायत में 100 से ज्यादा गांवों के किसान एकत्रित हो रहे हैं। उनका मुख्य मुद्दा है कि 7 साल बाद किसानों की जमीन के भाव करोड़ों रुपए हो गया है और अब उन जमीनों को रेलवे 7 साल पहले की सर्वे के आधार पर ही खरीद रहा है। जिसे लेकर आसपास के लगभग 100 गांवों के किसान प्रभावित हो रहे हैं।
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किसानों का कहना है हम अपनी जमीन रेलवे को जमीन दे देंगे लेकिन इसी रेलवे लाइन के पास मंत्री तुलसी सिलावट की जमीन लगी हुई है, जिसे हम मिलने वाले मुआवजे से चार गुना दाम पर खरीदने को तैयार हैं। अगर मंत्री अपनी जमीन बेचने के लिए तैयार है तो हम भी अपनी जमीन रेलवे को देने के लिए तैयार हो जाएंगे। मामले को लेकर किसानों ने मोर्चा खोल दिया है। किसानों का कहना है कि अभी महापंचायत कर शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात रख रहे हैं। आने वाले समय में उग्र आंदोलन करेंगे।
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