हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर में भिक्षुक मुक्त अभियान की गति धीमी पड़ती नजर आ रही है। चौराहों पर बच्चों और भिक्षुकों की संख्या बढ़ने से लोग काफी परेशान हैं। पिछले दिनों कलेक्टर आशीष सिंह ने भिक्षा देने वालों पर एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किए थे, लेकिन इसका प्रभाव दिखाई नहीं दे रहा है। इंदौर में लगातार भिक्षा मांगने वालों की संख्या में वृद्धि हो रही है। चौराहों पर भिक्षुक गाड़ियों के दरवाजे ठोकते हैं, कांच थपथपाते हैं और लोगों को परेशान करते हैं।

इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर आशीष सिंह ने एक टीम का गठन किया था, जो चौराहों पर पहुंचकर भिक्षुकों के खिलाफ कार्रवाई कर रही थी। लेकिन अब यह अभियान ठंडा बस्ते में जाता हुआ नजर आ रहा है, क्योंकि चौराहों पर फिर से भिक्षुकों की संख्या बढ़ने लगी है।

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पुनर्वास के प्रयास

केंद्र सरकार ने एक संस्था को भिक्षुकों के पुनर्वास के लिए लाखों रुपये का फंड भी दिया था, लेकिन संस्था की भी सक्रियता कम होती नजर आ रही है। भिक्षावृत्ति रोकने के लिए कलेक्टर ने भिक्षा देने वालों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने के आदेश जारी किए थे, लेकिन न तो भिक्षा लेने वालों में कमी आई है और न ही भिक्षा देने वालों में।

टीम को हो रही परेशानियां

कार्रवाई करने वाली टीम को भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें टीम के सदस्यों को भी चोट पहुंचने की घटनाएं सामने आई हैं। इस कारण से अभियान की टीम भी भिक्षुकों पर कार्रवाई करने से हिचकिचा रही है। भिक्षावृत्ति की समस्या को जड़ से समाप्त करने के लिए आवश्यक है कि लोग भिक्षा देने से बचें और भिक्षुकों के पुनर्वास के प्रयासों में सहयोग करें। प्रशासन को भी इस दिशा में लगातार और सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

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कलेक्टर बोले- भिक्षुकों के खिलाफ कार्रवाई जारी

कलेक्टर आशीष सिंह का कहना है कि उनका अभियान ठंडा बस्ते में नहीं है और भिक्षुकों के खिलाफ कार्रवाई जारी है। उन्होंने बताया कि 20 से 25 लोग बार-बार भिक्षावृत्ति करने के लिए चौराहों पर पहुंच जाते हैं, उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जा रही है। आने वाले समय में इंदौर को भिक्षुक मुक्त बनाने का प्रयास जारी रहेगा, जिससे लोगों को काफी राहत मिलेगी।

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