हेमंत शर्मा, इंदौर। इंदौर में श्री गुरु ग्रंथ साहिब का विधि-विधान से निर्वाहन ना करने से सिख समाज के निहंग सिंह नाराज चल रहे हैं। सिखों ने सिंधी समाज के एक परिवार पर बेअदबी का आरोप लगाकर श्री गुरु ग्रंथ साहब वापस ले जाने को कहा है। विवाद का पूरा वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। गुस्साए सिंधी समाज ने 92 श्री गुरु ग्रंथ साहिब इमली साहिब गुरुद्वारे में जमा करवाएं हैं।

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दरअसल, सिंधी समाज के धर्म स्थलों में विराजित करीब 92 गुरु ग्रंथ साहिब के दीवान सिंधी समाज द्वारा सिख धर्म गुरुओं को सम्मान पूर्वक लौटा दिए गए हैं। दो समाज के बीच हाल ही में यह मामला उस दौरान बड़ा विवाद बन कर उभरा, जब 9 जनवरी को अमृतसर के गुड्डा दल बताए जाने वाले निहंग सिंह के सदस्यों ने इंदौर के पार्श्वनाथ नगर में स्थित एक सिंधी धर्म स्थल पहुंचकर इस बात पर आपत्ति ली थी कि संबंधित धर्म स्थल पर श्री गुरू ग्रंथ दीवान के समानांतर संतों के फोटो और भगवान की मूर्तियां रखी गई थी। इस धार्मिक दल के सदस्यों का आरोप था कि ऐसा करना उनके धार्मिक ग्रंथ की मर्यादा के विपरीत है।

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लिहाजा ग्रुप के दीवान के समानांतर सिंधी संतों के फोटो और भगवान की प्रतिमा को हटाते हुए उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब को ले जाने का प्रयास किया था। इसके बाद मौके पर सिंधी संत और अन्य परिजनों का उससे विवाद का एक वीडियो भी सामने आया है। इसके पूर्व भी ऐसी ही एक घटना और इंदौर में हुई थी। लिहाजा इन घटनाओं से आहत होकर सिंधी समाज ने बैठक बुलाकर तय किया कि हम हमारे सनातनी होने के फलस्वरूप श्री गुरू ग्रंथ साहिब से भगवान की मूर्तियां और सिंधी समाज के संतों की तस्वीरें नहीं हटा पाने के कारण गुरु ग्रंथ साहिब की धार्मिक मर्यादा का पालन नहीं कर पा रहे हैं। लिहाजा समाज के संतों और प्रतिनिधियों ने इंदौर गुरु सिंह सभा की लिखित सहमति के बाद सिंधी समाज के सभी धर्म स्थलों से गुरु ग्रंथ साहिब लौटाने का फैसला कर लिया।

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इंदौर के गुरुद्वारा इमली साहिब में अब तक सिंधी समाज के संतों और प्रतिनिधियों द्वारा 92 गुरु ग्रंथ साहिब लौटाए जा चुके हैं। इधर सिंधी समाज के फैसले से सिख समाज भी आहत है, लेकिन वह हर सूरत में अपने धर्म ग्रंथ की मर्यादा का पालन चाहते हैं। मामले के सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद अब दोनों ही समाज अपनी-अपनी धार्मिक मान्यता के कारण फिलहाल इस मुद्दे पर विचार विमर्श कर रहे हैं। इधर सिंधी समाज ने सिंधी संतों के साथ बैठक करके पूरे मामले में उनके धर्म गुरु साईं हंसराम दास महाराज के निर्णय पर आगे बढ़ने का फैसला किया है। वहीं अमृतसर के शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने भी पूरे मामले की जांच की है। इस दौरान कोशिश भी हो रही है कि सिंधी समाज और सिख समाज के बीच धार्मिक एकरूपता और भाईचारा भी बना रहे। साथ ही एक-दूसरे की धार्मिक भावनाएं भी किसी भी कारण से आहत ना हो।

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