हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर हाई कोर्ट ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज को निर्देश दिया है कि वह एक छात्रा के डॉक्यूमेंट बिना पेनल्टी के लौटाए। छात्रा ने बीच में ही अपने कोर्स को छोड़ दिया था और जब उसने डॉक्यूमेंट लेने की कोशिश की, तो कॉलेज ने उसे 30 लाख रुपए पेनल्टी देने को कहा। इस मामले में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।  

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दरअसल 2019 में मध्य प्रदेश सरकार ने एक नियम लागू किया था, जिसके तहत अगर कोई पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट सरकारी मेडिकल कॉलेज से बीच में ही कोर्स छोड़ता है, तो उसे डॉक्यूमेंट प्राप्त करने के लिए 30 लाख रुपए पेनल्टी के रूप में जमा करने होंगे। शुभांगी राज नाम की छात्रा ने 2022 में एमजीएम मेडिकल कॉलेज में एमएस की सीट ली थी। लेकिन कुछ समय बाद उसे कोर्स छोड़ना पड़ा। जब उसने डॉक्यूमेंट लेने की कोशिश की, तो कॉलेज ने उसे 30 लाख रुपए पेनल्टी का भुगतान करने को कहा।

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इस नियम को लेकर संसद में सवाल उठे और कैबिनेट मंत्री ने इसे वापस लेने की बात की। नेशनल मेडिकल कमिशन ने भी राज्यों को इस पेनल्टी को वापस लेने का निर्देश दिया। इसके बाद, मध्य प्रदेश सरकार ने जून 2024 में एक नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें कहा गया कि नया नियम 2024 से लागू होगा और 2024 से एडमिशन लेने वाले छात्रों को पेनल्टी से राहत मिलेगी। पुराने छात्रों को पेनल्टी का भुगतान करना होगा।
हाई कोर्ट का निर्णय

इंदौर हाई कोर्ट ने छात्रा के पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे कई पुराने छात्रों को राहत मिली है। कोर्ट ने आदेश दिया कि एमजीएम मेडिकल कॉलेज बिना पेनाल्टी के छात्रा के डॉक्यूमेंट लौटाए। इस फैसले से कई छात्रों को राहत मिली है और अब वे बिना किसी पेनल्टी के अपने डॉक्यूमेंट प्राप्त कर सकेंगे।

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