कुमार इंदर, जबलपुर। जबलपुर के नानाजी देशमुख पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय में आज छठवें दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने शिरकत की। इस गरिमाम्य समारोह में जहां 13 छात्रों को गोल्ड मेडल से नवाजा गया, वहीं करीब 900 छात्रों को डिग्री दी गई।

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समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने पशुधन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं जताते हुए भावी पशु चिकित्सकों को बधाई दी। राज्यपाल ने कहा कि दीक्षांत समारोह गुरुकुल की परंपरा रही है, जिसे प्राचीन काल में ऋषि-मुनियों द्वारा प्रारम्भ किया गया था। यह परम्परा गुरुओं द्वारा शिष्यों की कार्य दक्षता और कुशलता की समीक्षा के आधार पर उन्हें विशिष्ट कार्य सौंपे जाने की प्रक्रिया होती थी।

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इसके साथ ही राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने छात्र छात्राओं से कहा कि भारतीय इतिहास में पशु-पक्षी और उनके महत्व का सनातन काल से वर्णन हमारे वैज्ञानिक विकास का प्रतीक रहा है, जो यह संकेत करता है कि इनके संरक्षण एवं संवर्धन के बिना हमारे समाज का सर्वांगीण विकास संभव नहीं है, क्योंकि मध्यप्रदेश देश का ऐसा राज्य है जहां देसी गोवंश की संख्या सर्वाधिक तो है ही, साथ ही भैंसों की संख्या भी पर्याप्त है। दुधारू पशुओं की देसी नस्लों का पालन क्षेत्रीय जलवायु तथा पर्यावरण की दृष्टि से अनुकूल होता है, लेकिन भारत के अन्य प्रदेशों पर पशु उपलब्धता हेतु निर्भर ना रहे और स्वावलम्बी हो, इन व्याप्त कमियों को दूर करने के लिए प्रयास होना चाहिए। उन्होंंने कहा कि आज उपाधि पाने वाले सभी विद्यार्थियों के लिए यह गर्व का अवसर है कि वे सनातन काल से चली आ रही परम्परा के अंतर्गत अपने अध्ययन को पूर्ण कर समाज एवं पशुओं की सेवा के लिए अग्रसर होने जा रहे हैं।

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