कुमार इंदर, जबलपुर। कहा जाता है कि यदि हाथों की लकीरों में मिलना लिखा है तो फिर पूरी कायनात भी उसको मिलने से नहीं रोक सकती, जी हां जबलपुर में एक दिव्यांग मासूम के साथ कुछ ऐसा ही हुआ। उसकी हाथों की लकीरों ने उसे उसके अपनों से मिलाया। पढ़िए खास रिपोर्ट…..

जबलपुर में एक मासूम दिव्यांग बच्चा जो पिछले कई समय से अपने परिजनों से दूर था। उसके हाथों की लकीरों ने उसे अपने परिजनों से मिलाया है। आधार कार्ड ने 5 साल से बिछड़े एक मासूम दिव्यांग को अपने परिजनों से मिलाने का काम किया है। दरअसल, सालों से जबलपुर के मानसिक विकलांग बाल गृह में रह रहे लालू का आधार कार्ड बनाने के लिए सेंटर लाया गया था। जब आधार कार्ड मशीन में फिंगर लगाया गया तो पता चला उसका पहले से ही रजिस्ट्रेशन हो चुका है। जिसके बाद बाल ग्रह के अधिकारियों ने यूआईडी विभाग से संपर्क करके उसकी पूरी जानकारी निकाली।

यूआईडी विभाग से मिली जानकारी से पता चला कि लालू महाराष्ट्र के जलगांव का रहने वाला है और उसका असली नाम अनस शेख है। अधिकारियों ने आधार कार्ड में दर्ज मोबाइल नंबर पर वीडियो कॉल कर परिजनों से संपर्क किया और पूरी बात बताई। लालू की पहचान होने के बाद उसके परिजन उससे मिलने पहुंचे, लेकिन फिलहाल कानूनी प्रक्रिया जारी है और जैसे ही कानूनी प्रक्रिया पूरी होगी। लालू को उसके परिजनों को सुपुर्द कर दिया जाएगा।

वहीं परिजनों ने बताया कि लालू (अनस शेख) के माता-पिता की बहुत पहले ही मृत्यु हो चुकी है। लालू जलगांव में अपने चाचा के संरक्षण में रहता था। लेकिन न जाने कैसे वह उनसे बिछड़ गया और जबलपुर पहुंच गया। वहीं शासकीय मानसिक अविकसित बाल गृह के अधीक्षक डॉ राम नरेश पटेल ने बताया कि इस बच्चे को लालू नाम इस संस्था ने ही दिया है। यह बच्चा बदहवास हालत में 2017 में मिला था।

इतना आसान नहीं था लालू को मिलाना

इधर, ई गवर्नेंस टीम के मैनेजर चित्रांशु त्रिपाठी बताते हैं कि लालू को उसके परिजनों से मिलाना इतना आसान नहीं था,‌ जब उन्होंने लालू के आधार कार्ड की जानकारी खंगालना शुरू की तो सिस्टम ने पिन कोड मांगा इसके बाद कर्मचारियों ने कई तरकीब लगाई, कई सारे पिनकोड ट्राई किए, लेकिन सब फेल हो गए। लास्ट में 1850 पिन कोड ट्राई किया गया। पिन कोड डालते ही पेज ओपन हो गया और फिर यहां से आधार अपडेट हिस्ट्री निकाली गई, जिसमें लालू के परिजन का मोबाइल नंबर भी निकाला गया।

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