कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश के बड़ेरिया मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल में एक ब्रेन डेड व्यक्ति की डोनेट लीवर से दूसरे की जिंदगी को बचाने के लिए जबलपुर के मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल से लेकर भोपाल के एक निजी अस्पताल तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। इसमें जबलपुर के मेट्रो हॉस्पिटल से लीवर निकालकर उसे बाय रोड भोपाल पहुंचा गया।
जिंदगी को बचाने के लिए चाहे जितनी जद्दो जहद कर ले लेकिन होता वही है जो ऊपर वाले को मंजूर है। एक ऐसा ही मामला जबलपुर से समाने आया है जहां 350 किलोमीटर का ग्रीन कॉरिडोर बनाकर एक व्यक्ति की जिंदगी पर मंडरा रहे मौत के बादलों को छाट दिया गया। जबलपुर के बड़ेरिया मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल में एक ब्रेन डेड व्यक्ति की डोनेट लीवर से दूसरे व्यक्ति की जिंदगी बचाने के लिए जबलपुर के मेट्रो प्राइम हॉस्पिटल से लेकर भोपाल के एक निजी अस्पताल तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। जिसमें जबलपुर के मेट्रो हॉस्पिटल से लीवर निकालकर उसे बाय रोड भोपाल पहुंचा गया। जहां पर एक निजी अस्पताल में भर्ती मरीज दिनेश तिवारी को वह लीवर लगाकर उसकी जिंदगी को बचा लिया गया।
ब्रेंड डैड हो चुके राजेश सराफ का लिवर निकलने के लिए डॉक्टरों की टीम भोपाल से हेलीकाफ्टर से जबलपुर एयरपोर्ट पहुंची है। जिसके बाद डुमना एयरपोर्ट से बाय रोड बड़ेरिया मेट्रो प्राइम अस्पताल पहुंचकर मरीज का लीवर निकाला गया और रात 10:30 बजे लीवर को बाय रोड भोपाल ले जाया गया। वहीं लीवर ले जाने के लिए बकायदा चार जिलों की पुलिस की फॉलो गार्ड लगाई गई और पुलिस की सुरक्षा में लीवर को साढ़े तीन घंटे में भोपाल पहुंचाया गया।
ब्रेन डेड मरीज के परिजनों ने अस्पताल द्वारा किए गए अंगदान कार्यक्रमों से प्रेरित होकर कंचन विहार विजयनगर में रहने वाले 64 वर्षीय राजेश सराफ व उनके परिजन अंगदान करने के लिए राजी हुए। फिर उन्होंने भोपाल के अस्पताल में भर्ती एक मरीज को लीवर दान करने का निर्णय लिया। यह फैसला मरीज रमेश सराफ के ब्रेन डेड होने के बाद लिया गया।
बता दें कि जबलपुर के विजय नगर में रहने वाले ब्रेन डेड हो चुके रमेश सराफ ने शादी नहीं की थी। राजेश सराफ एक निजी कंपनी में काम करते थे। जो पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे थे, उन्होंने इससे नागपुर में ऑपरेशन कराया था। लेकिन वो फिर भी ठीक नहीं हो पाए, राजेश सराफ के परिवार ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि यह उनके लिए भले ही दुख की घड़ी हो कि उनके अपने इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन यह सोचकर खुशी भी होती है कि उनके परिजन द्वारा दिए जाने वाले अंग से किसी और की जिंदगी बच गई। लोगों से अपील करते हुए कहा कि वह भी इस तरह से आगे आए और अपने अंगदान करके किसी की जिंदगी बचाएं।
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