कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव (MP Vidhan Sabha Election) में हर विधानसभा क्षेत्र के अपने अलग-अलग मुद्दे होते हैं, लेकिन जबलपुर के कैंटोनमेंट विधानसभा (Jabalpur Cantonment Assembly) के सामान्य मुद्दों के अलावा कुछ ऐसे मुद्दे भी हैं, जो बरसों से सुलझ नहीं पाए हैं। फिर चाहे सत्ता कांग्रेस की रही हो या बीजेपी की। यहां राजनीतिक दलों को सिर्फ एक दूसरे के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़नी पड़ती, बल्की लोगों के लिए आर्मी से भी एक लड़ाई लड़नी होती है। इस बार चुनावी साल में ये लड़ाई और तेज होगी। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
जबलपुर जिले की 8 विधानसभाओं में से 1 कैंटोनमेंट विधानसभा जो किसी भी पहचान की मोहताज नहीं है। कारण भारतीय सेना के लिए गोला, बारूद, असलाह, तोपे और गाड़ियां बनाने वाली चार-चार आयुध निर्माणी फैक्ट्रिया और थलसेना का मध्यभारत एरिया मुख्यालय होने की वजह से इस सीट की अहमियत और ज्यादा बढ़ जाती है। जबलपुर के छावनी क्षेत्र और उसके आसपास के इलाके को जोड़कर ये विधानसभा क्षेत्र बनाया गया, उसे कैंट विधानसभा का नाम दिया गया।
विधानसभा की यही खासियत इस विधानसभा में रहने वाले एक करीब एक तिहाई से ज्यादा वोटों के लिए परेशानी का भी सबब है, कारण इस विधानसभा में आर्मी क्षेत्र के अंतर्गत पीढ़ियों से। रहने वाले लोगों पर हमेशा अतिक्रमण की तलवार लटकती रहती है, छावनी के कुछ क्षेत्र में तो रहने वाले निवासी पक्का निर्माण भी नहीं करा सकते, यही नहीं कैंट क्षेत्र में रहने वाले लोगों को नगर निगम की सुविधा भी नहीं मिल पाती, जो हमेशा से ही एक चुनावी मुद्दा भी रहा है, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव के पहले इस कैंटोंमेंट विधानसभा के छावनी क्षेत्र में रहने वाले ज्यादातर एरिया को सिविल एरिया में शामिल करने की जद्दोजहद की जा रही है, इसी के चलते क्षेत्र के भाजपा विधायक अशोक रोहाणी (Ashok Rohani) ने मुख्यमंत्री से लेकर रक्षा मंत्रालय तक को लेटर लिख कैंट क्षेत्र के इलाकों को सिविल यानी नगर निगम में शामिल करने की मांग की है।
वहीं इस मामले में महापौर और कांग्रेस नगर अध्यक्ष जगत बहादुर सिंह अन्नू (Jagat Bahadur Singh Annu) का कहना है कि यह सब भाजपा की श्रेय लेने की राजनीति है। जगत बहादुर सिंह का कहना है कि यह काम पहले से ही केंद्र सरकार के स्तर पर जारी है। वहीं नगर निगम ने तो अपनी ओर से सारी तैयारियां कर ली है। उन्होंने कहा कि नगर निगम ने इस एरिया को कैसे सिविल एरिया में लाकर डेवलप करना है उसका ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया गया है। महापौर का कहना है कि हमारी कोशिश है की छावनी क्षेत्र को नगर निगम में शामिल कर क्षेत्र में रहने वाले लोगों को नगर निगम की तरह सुविधा दी जा सके।
विधानसभा पर एक नजर
देश की 62 छावनी में से एक है जबलपुर की कैंट छावनी, जहां करीब 40 हजार सामान्य वोटर्स, 60 हजार ओबीसी वोटर्स, अनुसूचित जाति के 27 हजार वोटर्स और अनुसूचित जनजाति के 15 हजार वोटर्स है। यहां करीब 8-8 हजार मुस्लिम और क्रिश्चियन वोटर्स हैं। कैंट विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 1 लाख, 79 हजार 98 हैं। पुरुष मतदाता 91 हजार 191, महिला मतदाता 87 हजार 900, अन्य मतदाताओं की संख्या 07 है। 2011 की जनगणना के अनुसार छावनी इलाके में 72 हजार से ज्यादा आबादी निवास करती है। छावनी इलाका करीब 5 हजार एकड़ में फैला है
सिविल एरिया में आने से मिलेगा ये लाभ
- नगर निगम में शामिल होने पर लोगों को जमीन का मालिकाना हक मिलेगा।
- यहां रहने वाले लोग को वैधानिक तौर पर निर्माण कार्य की मंजूरी मिल सकेगी।
- सिविल एरिया में आने के बाद लोग बैंक से लोन ले सकेंगे।
- सबसे खास लोगों को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी मिलेगा।
दरअसल, प्रदेश में 4 महीने बाद विधानसभा चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनाव है। लिहाजा राजनीतिक पार्टियां माइलेज लेने का कोई भी मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती। यही वजह है कि राजनेताओं की कोशिश है कि चुनाव तक ये प्रक्रिया चालू हो जाए। जिससे वो जनता के बीच जाकर और ज्यादा मजबूती से अपनी बात कह सके। छावनी क्षेत्र की जनता से उनके अपने होने का अहसास करा सके।
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