कुमार इंदर, जबलपुर। जबलपुर में कल संपन्न हुए निकाय चुनाव में वोटों की फसल को बारिश बहा ले गई, जी हां जिला निर्वाचन अधिकारी का कुछ यही अंदाज बयां है। उनका कहना है कि बारिश के चलते वोटिंग परसेंटेज में कमी आई है। बता दें कि इस बार निकाय चुनाव में महज 60% मतदान हुआ हैं, जबकि पिछले बार यानी साल 2015 के निकाय चुनाव में 62.90 % वोटिंग हुई थी। वहीं मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के प्रचार-प्रसार के सवाल पर उप जिला निर्वाचन अधिकारी का कहना है कि हमने मतदान के प्रचार प्रसार में कहीं कोई कमी नहीं छोड़ी। देखा जाए तो वोटिंग परसेंट घटने की एक खास वजह मतदाताओं का वोटर लिस्ट से नाम कटना भी था। कई मतदान केंद्रों पर यही स्थिति देखने को मिली, जहां मतदाता अपने नाम वोटिंग लिस्ट में ना होने को लेकर काफी परेशान दिखे, जबकि कुछ जगह तो मतदाताओं का वार्ड ही बदल दिया गया। बिलहरी क्षेत्र में रहने वाले मतदाताओं का संजीवनी नगर और अधारताल की वोटिंग लिस्ट में नाम जोड़ दिया गया। रांझी में तो पति-पत्नी के बीच ही बंटवारा कर दिया गया। पति को दूसरे वार्ड में और पत्नी का वोट दूसरे वार्ड में ट्रांसफर कर दिया गया। वहीं शांति नगर में रहने वाली लक्ष्मी के वोटर आईडी में उसके पति की जगह उसके पिता का नाम जोड़ दिया गया, जिसको लेकर वह मतदान केंद्र पर परेशान होती रही।

पति-पत्नी ने चुने अलग अलग पार्षद

प्रशासन सब कुछ ठीक होने के कर रहा दावा

वहीं शासन का यह कहना है कि उन्होंने नाम काटने और जोड़ने के लिए आपत्ति करने का समय दिया था। मतदान प्रतिशत बढ़ाने शहर में ऐसा किसी भी तरह का खास अभियान नहीं देखा गया कि जिससे मतदाताओं में वोटिंग को लेकर जागरूकता आई हो। कहने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से एक लिंक जरूर बनाई गई थी, जिसमें वोटर अपनी आईडी डाल कर अपना वोटर लिस्ट चेक कर सकते थे। लेकिन कई मतदान केंद्रों में जब लोगों की आईडी नंबर उस ऐप में डालकर देखा गया तो उस ऐप में उनका मतदाता सूची से नाम कटना बता दिया गया, जबकि बाद में यह देखा गया कि मतदाता का नाम वोटर लिस्ट में है। इसका मतलब प्रशासन की तरफ से बनाया गया एप है पूरी तरह से फेल साबित हुआ।

कुछ इस तरह था पिछला मतदान

नगर निगम जबलपुर के साल 2015 में हुए मतदान में 62.90 प्रतिशत मतदान हुआ था। साल 2015 में कुल मतादाताओं की संख्या 8 लाख 90 हजार 131 थी । इनमें से करीब 5 लाख 59 हजार 89 मतादाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था । नगर निगम के वर्ष 2015 में हुए चुनाव में महापौर पद के लिए सात और सभी 79 वार्डों से पार्षद पद के लिए 403 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। जबकि इससे पहले यानि साल 2009 में हुए नगर निगम के चुनाव में 57 फीसदी मतदान हुआ था और लगभग 3 लाख 91 हजार मतादाताओं ने मतदान में हिस्सा लिया था।

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