कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश में अतिथि विद्वानों को सहायक प्राध्यापक के समान न्यूनतम वेतन देने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई की गई। जिसमें हाईकोर्ट ने सरकार को एक सप्ताह के अंदर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं । जस्टिस शील नागू और जस्टिस विनय सराफ की डबल बेंच में हुई मामले की सुनवाई के दौरान सरकार ने जवाब पेश करने के लिए एक हफ्ते की मोहलत मांगी है।
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दरअसल हाई कोर्ट की इंदौर बेंच के आदेश का पालन नहीं हो पा रहा था, इसी को लेकर जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज और उज्जैन इंजीनियरिंग कॉलेज की अतिथि विद्वानों द्वारा हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। जिस पर हाईकोर्ट ने पूछा कि इंदौर बेंच के आदेश पर अब तक क्या कार्रवाई की गई है ? उसी का जवाब देने के लिए शासन की ओर से एक हफ्ते का समय मांगा गया है। याचिकाकर्ता के वकील विनायक प्रसाद शाह ने कोर्ट में जिरह करते हुए बताया कि अतिथि विद्वानों को नियमित प्राध्यापकों के स्तर का वेतन देने का अधिकार है, याचिका में बताया गया है कि पूरा विवाद अतिथि विद्वानों को 200 रूपए प्रति पीरियड व नए अतिथि विद्वानों को 30000 में प्रति माह वेतन से जुड़ा है।
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याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे हैं अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह ने बताया कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति अतिथि विद्वान के रूप में सहायक प्राध्यापक, असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व प्रोफेसर के रिक्त पदों के विरुद्ध की गई है। लिहाजा हाई कोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ द्वारा पारित आदेश के अनुरूप उन्हें सहायक अध्यापक स्तर का न्यूनतम वेतनमान मिलना चाहिए। लेकिन ऐसा ना करते हुए 400 रूपए प्रति पीरियड के हिसाब से ही वेतन दिया जा रहा है, अब मामले की सुनवाई एक हफ्ते बाद तय की गई है।
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