कुमार इंदर, जबलपुर। आज हम आपको एक ऐसे फर्जीवाड़े के बारे में बताने जा रहे है जो शायद ही आपने देखा या सुना होगा, एक ऐसा गोरखधंधा जिन हाथों को छात्रों के भविष्य संवारने की जिम्मेदारी मिली थीं, उन्हीं लोगों ने छात्रों की जिंदगी तबाह कर दी। पढ़िए एक्सक्लूसिव रिपोर्ट…
जिस जगह पर भविष्य की नींव रखने का काम किया जाता है, वहीं पर भविष्य को भंवर में फंसाने का खेल खेला जा रहा है। जहां बच्चों को हुनरमंदी और हौसला अफजाई सिखाया जाना था, वहां पर छात्रों को हैरासमेंट किया जा रहा है। जहां आसमान को छू लेने की दक्षता सिखाई जानी थी, वहां छात्रों को गड्ढे में धकेलने का काम किया जा रहा है। हम बात कर रहे हैं शहर के फेमस तक्षशिला इंजीनियरिंग कॉलेज की, जहां पर एक- दो नहीं बल्कि 50 से ज्यादा इंजीनियरिंग के छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है। यह फर्जीवाड़ा कोई आम फर्जीवाड़ा नहीं बल्कि एक सोची समझी और पूरी रणनीति के तहत किया गया गोरखधंधा है, जिसे सुनकर हर कोई हैरान हो उठेगा।
दरअसल, इस कॉलेज में पहले तो छात्रों को ट्रेनिंग दिलाने के नाम पर एक कैंपस लगाया जाता है, फिर कैंपस में नामी कंपनियों को बुलाने के दावे भी किए जाते हैं। खेल बस यही नहीं रुकता है। इस ट्रेनिंग के नाम पर बकायदा छात्रों से वो दस्तावेज भी मांगे जाते हैं, जो आज तक किसी भी ट्रेनिंग में इस्तेमाल नहीं किए गए। छात्रों से इनकम रिलेटेड जैसे पैन कार्ड, अकाउंट डिटेल, बैंक पासबुक, फोटो, अमूमन ट्रेनिंग में छात्रों के फोटो जैसे डॉक्यूमेंट जमा कराए गए और फिर रचा गया उनके दस्तावेजों के आधार पर लोन लेने का खेल।
यह खुलासा उस वक्त हुआ जब कुछ छात्रों के घर में रिकवरी एजेंट दस्तक देने लगे, तब जाकर छात्रों की नींद खुली। छात्रा दिव्या कौशिक बताती है कि उसके पैरों तले उस वक्त जमीन खिसक गई जब एक रिकवरी एजेंट उनके घर आ धमका और कहने लगा कि उनके नाम पर 59 हजार का एजुकेशन लोन लिया गया है जो उसे भरना है।
सिर्फ दिव्या कौशिक की नहीं बल्कि ऐसे तमाम छात्र हैं, जो इसके शिकार हुए हैं। इंजीनियरिंग की छात्रा बॉबी मिश्रा बताती है कि इस लोन के बारे में उनसे कभी कॉलेज में डिस्कशन नहीं किया गया। उन्हें तो सिर्फ ट्रेनिंग दिलाने की बात की गई थी, लेकिन जब रिकवरी एजेंट उनके घर पहुंचने लगे तो पूरे फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।
वहीं हमने जब इस मामले में कॉलेज प्रबंधन से बात करनी चाही तो कॉलेज प्रबंधन ने साफ-साफ इंकार कर दिया। उनका कहना है कि हमारा इस लोन से सीधे तौर पर कोई लेना देना नहीं है।
यही नहीं कॉलेज प्रबंधन ने बड़ी ही चतुराई से अपने आप को इस गोरखधंधे से अलग करने के लिए चुपके से एक थाने में एक FIR भी दर्ज करवा दी, जिसमें कॉलेज प्रबंधन ने कहा कि, उनका इस गोरखधंधे में कोई लेना देना नहीं है, लेकीन ताज्जुब की बात ये है कि मामले के इतने दिनों बाद भी आज तक पुलिस की तरफ से भी कोई कर्रवाई नहीं की गई। यानी साफ है कि कॉलेज की ओर से की गई एफआईआर सिर्फ और सिर्फ एक फॉर्मेल्टी थी।
अब आपको इस पूरे गोरखधंधे की चैन समझाते हैं सबसे पहले तक्षशिला कॉलेज में छात्रों को ट्रेनिंग के नाम पर उनके दस्तावेज जमा कराए गए। फिर इस षड्यंत्र को आगे अंजाम देने के लिए सभी छात्रों के नाम पर फर्जी मोबाइल नंबर दर्ज किए जाते हैं और उन्हीं मोबाइल नंबर के बेस पर उनसे एजुकेशन लोन के नाम पर एक प्राइवेट फर्म से प्रति छात्र 59 हजार रूपए का लोन निकाला जाता है। एक बात जो गौर करने वाली यह है कि यहां पर सभी छात्रों के फर्जी मोबाइल नंबर दर्ज किए जाते हैं ताकि बैंक की ओर से आने वाला कोई भी ओटीपी या मैसेज छात्रों तक ना पहुंच सके। जिसके पीछे उद्देश्य इस फर्जीवाड़े को छुपा कर रखा था। हमारी टीम जब इस मामले में फुलट्रॉन कंपनी से बात करनी चाही तो फूल्ट्रोन कंपनी ने ऐसे किसी भी लोन देने की बात से इनकार कर दिया।
बैंक के बाद हमारी टीम उस रिकवरी एजेंट के ऑफिस यानी अफोर्ड मोटर्स भी पहुंची, जहां से रिकवरी एजेंट छात्रों के घर पहुंचे थे। लेकिन रिकवरी एजेंट भी सिर्फ इतना ही बता पाया कि हमें इंदौर से एक लिस्ट मिली थीं। उस बेस पर हमारे लड़के वसूली करने पहुंचे थे, लेकिन जब उन्हें लगा कि ये फर्जीवाड़ा है तो उन्होंने पूरा केस वापस कर दिया।
लल्लूराम की पड़ताल यही नहीं रुकी। हमने इसके बाद इस केस से जुड़े इंदौर ऑफिस से कई मर्तबा बात करने की कोशिश की, तो उस ऑफिस ने भी कोई भी जानकारी देने से इंकार कर दिया। मामला साफ है इस भयंकर फर्जीवाड़े में उपर से लेकर नीचे तक हर कोई शामिल है और खमियाजा मासूम छात्रों को भुगतना पड़ रहा है।
छात्रों ने भी इस बात की शिकायत थाने में की है, लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। छात्रों का कहना है कि इस फर्जीवाड़े के कारण बिना वजह उनकी सिविल खराब हो रही है, लोन लिए बिना ही उन्हें कर्जदार बना दिया गया। उनको आए दिन रिकवरी एजेंट के फोन आ रहे हैं। उन्हें परेशान किया जा रहा। छात्रों के परिजन अलग परेशान हो रहे हैं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। सवाल ये उठता है कि आखिर इस महा घोटाले के षड्यंत्र कारी किसकी सह पर ये सब कर रहें है। इनको कानून का कोई खौफ नहीं है। क्या यहां पढ़ने वाले छात्र इसी तरह शिकार होते रहेंगे।
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