कुमार इंदर, जबलपुर। हायर बेजेस पेंशन मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ को पुरानी पेंशन बहाल करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि सितंबर 2014 से पहले रिटायर हुए अधिकारियों और कर्मचारियों की रोकी गई पेंशन को फिर से बहाल की जाए।

हायर पेंशन से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि 2014 से पहले रिटायर हुए कर्मचारियों की पेंशन जल्द से जल्द बहाल की जाए। बता दें कि देशभर में सितंबर 2014 के पहले रिटायर हो चुके अधिकारी-कर्मचारी की संख्या करीब 24700 हैं। इनमें से मधयप्रदेश के करीब 4300 कर्मचारी शामिल है।

क्या है हायर बेजेस पेंशन मामला

दरअसल वर्तमान में प्राइवेट कंपनी सेक्टर में अभी 6500 इसके हिसाब से पेंशन देने का प्रावधान किया गया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका में यह मांग की गई है कि उन्हें उनके न्यूनतम सैलरी के हिसाब से पेंशन का लाभ दिया जाए। प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों को पेंशन के नाम पर महज चाय पानी का भत्ता दिया जाता है। यानी कि यदि किसी प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी की सैलरी 50000 से ज्यादा भी है तो उसकी पेंशन आज की डेट में ढाई से 3 हजार के बीच में बनती है। इसी चीज को लेकर प्राइवेट कंपनी के कर्मचारी संगठन ने कोर्ट में याचिका दायर की है कि उन्हें न्यूनतम यानी कि उनके रिटायरमेंट के वक्त की सैलरी के हिसाब से पेंशन दिया जाए।

अभी तक कैसे मिलती है पेंशन

वर्तमान में ईपीएफ के अंतर्गत आने वाले कर्मचारी को उसकी सैलरी यानी मूल वेतन प्लस महंगाई भत्ता का 12% कर्मचारी की सैलरी से काटा जाता है और ठीक इतना ही यानी कि 12 परसेंट उस कंपनी या फैक्ट्री को देना होता है, जिसका वह कर्मचारी है। इसका 8.33% हिस्सा कर्मचारी पेंशन योजना यानी ईपीएफ में जमा हो जाता है अगर किसी कर्मचारी ने एक ही कंपनी या अलग-अलग 10 साल से ज्यादा नौकरी की है तो ऐसे में पेंशन का हकदार हो जाता है।

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