कुमार इंदर, जबलपुर। अवैध कॉलोनियों को वैध करने के सरकार के नोटिफिकेशन को लेकर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा है कि आखिर राज्य सरकार ने किस आधार पर प्रदेश की अवैध कॉलोनियों को वैध करने का नोटिफिकेशन जारी किया था।
दरअसल, अवैध कॉलोनियों को वैध करने के आदेश को मध्यप्रदेश नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि सरकार के इस कदम से न केवल शहर में अवैध कॉलोनियों की संख्या बढ़ेगी, बल्कि इस कदम से अव्यवस्था भी बढ़ेगी।
नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के सदस्य और सामाजिक कार्यकर्ता रजत भार्गव ने कहा है कि सरकार के इस फैसले से उन लोगों को नुकसान होगा, जो सरकार के सारे नियमों के साथ रेरा जैसी संस्थाओं का ना केवल पालन कर रहे हैं, बल्कि एक कॉलोनी बनाने के पहले सरकार के खजाने में तमाम टैक्स के नाम पर एक मोटी रकम भी जमा करते है।
रजत भार्गव का कहना है कि सरकार के इस कदम से अवैध कालोनियां की संख्या बढ़ेगी, जिनमें ना तो बिजली की व्यवस्था होगी, ना नाली की व्यवस्था होगी, ना साफ पीने का पानी होगा। इसका खामियाजा आने वाले दिनों में जनता को ही भुगतना पड़ेगा।
2021 में सरकार ने लाया था नोटिफिकेशन
बता दें कि मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने साल 2021 में एक नोटिफिकेशन जारी कर यह कहा था कि मध्यप्रदेश के तमाम अवैध कॉलोनी को वैध कर दिया जाएगा। सरकार के इस कदम से जहां पर अवैध कॉलोनी में रहने वाले लोगों में खुशी है, तो वहीं दूसरी ओर उन कॉलोनाइजर और बिल्डरों को नुकसान पहुंचेगा जो सरकार के नियम कानूनों का पालन करते हुए कॉलोनिया डेवलप करते हैं।
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