कुमार इंदर, जबलपुर। जबलपुर के मेयर ‘साहब’ के पिछले कुछ फैसले देखकर ऐसा लगता है कि महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नु पर भी अब भाजपा के डीएनए का असर होने लगा है, जी हां तभी तो मेयर साहब इन दिनों काम से ज्यादा नाम बदलना पर भरोसा कर रहे हैं। हाल ही में मेयर जगत बहादुर सिंह अन्नु ने जबलपुर के 100 साल से ज्यादा पुराने रानीताल चौक, जो कि गोंडवाना वंश की रानी और विरांगना रानी दुर्गावती के नाम से जाना जाता है उसका नाम बदलकर परशुराम चौक करने का ऐलान कर दिया है। महापौर के इस ऐलान के बाद मानो एलान-ए-जंग छिड़ गई हो.. गोंडवाना संरक्षण से जुड़े तमाम संगठनों ने कहा कि उनके विरासत के साथ छेड़छाड़ कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।
यह पहला मौका नहीं है जब जबलपुर में वीरांगना रानी दुर्गावती के नाम से जाने वाले स्थलों की पहचान बदल ली गई हो, इससे पहले जबलपुर का फेमस रानीताल स्टेडियम का नाम भी बदलकर मेजर ध्यानचंद स्टेडियम रखने का प्रस्ताव लाया जा चुका है, आदिवासी संगठन का कहना है कि वह उस वक्त चुप थे, लेकिन अब शासन-प्रशासन अपनी हदें पार कर रहा है।
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महापौर ने इससे पहले भी जबलपुर के फेमस ग्वारीघाट का नाम भी बदलकर गौरीघाट करने का ऐलान किया था। एक धर्म विशेष को खुश करने के लिए महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नु ने ना केवल इस चौक का नाम बदलने का ऐलान किया, बल्कि वाहवाही लूटने के चक्कर में उस चौराहे को चाक चौबंद करने या यूं कहें मानो चौराहे पर चंद्रमा उतारने तक की घोषणा कर डाली थी।
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इतिहासकार भी मानते हैं कि आज न केवल जबलपुर बल्कि पूरा गोंडवाना बेल्ट रानी दुर्गावती के बलिदान, त्याग, परिश्रम और पराक्रम की वजह से जाना जाता है, लिहाजा ऐसी वीरांगना के नाम से छेड़छाड़ करना इतिहास को मिटाने जैसा है। इतिहासकार राजकुमार गुप्ता का कहना है कि यह गलत फैसला है।
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वह वीरांगना जिसने देश के आजादी के लिए अंग्रेजों से लड़ते-लड़ते अपने प्राणों की आहुति दे दी.. वो वीरांगना जिससे अपनी शादी में मुंह दिखाई की रस्म में मिली दौलत को जबलपुर में ताल तलइया बनाने में खर्च कर दिए.. वो रानी दुर्गावती जिसने जबलपुर को इतिहास के पन्ने पर दर्ज करवाया.. वो रानी दुर्गावती जिसने न केवल शिक्षा का प्रसार किया, बल्कि संपूर्ण गोंडवाना बेल्ट में शाला स्थापित करवाई.. ऐसे तमाम तात-तलइये और ऐतिहासिक स्थल जो जबलपुर की न केवल शान है, पहचान है, उन स्थलों का नाम बदलना बताता है कि नाम बदलने की सियासत में यह इतिहास को मिटाने की कोशिश है।
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