कुमार इंदर, जबलपुर। किसी भी शहर के विकास के लिए टैक्स बहुत जरुरी होता है। क्योंकि जनता के द्वारा टैक्स के रूप में दिए गए पैसों से सभी विकास कार्य कराए जाते है। ऐसे में जब समय पर टैक्स की वसूली नहीं होती तो प्रशासन पर दबाव पड़ना स्वभाविक है। जबलपुर में रेवेन्यू को लेकर तो कुछ यही हालात नजर आ रहे हैं। दरअसल जबलपुर महानगर निगम ने इस साल शहर के विकास के लिए 325 करोड़ रुपए के टैक्स वसूली का टारगेट रखा था। जिसमें से उन्हें 70% यानी कि 237 करोड़ की ही वसूली हो पाई। जबकि वित्तीय वर्ष 2022 -2023 खत्म होने को 1 दिन बचा हुआ है। 

MP; युवक की निर्मम हत्या: आरोपी ने पहले पटका पत्थर, फिर दबा दिया गला, वारदात के बाद फरार

जबलपुर नगर निगम के साथ तमाम राजस्व अमला अपने रिकॉर्ड से काफी पीछे है। बात नगर निगम की संपत्ति कर की करें तो निगम ने इस साल समस्त सोर्स से कुल 325 करोड़ रुपए के टैक्स का टारगेट रखा था। 2022-23 का वित्तीय वर्ष बीतने के लिए महज 1 दिन बचे हैं ऐसे में अब तक नगर निगम ने संपत्ति कर से केवल 237 करोड़ रुपए ही जुटा पाए हैं जबकि टारगेट पूरा करने के लिए 83 करोड़ की वसूली करना अभी बाकी है जो कि एक दिन में किसी भी हाल में संभव नहीं है।

रामनवमी: छिंदवाड़ा में निकला विशाल जुलूस, हेलीकॉप्टर से हुई पुष्प वर्षा, रामायण के ‘लक्ष्मण’ ने भक्तों का बढ़ाया उत्साह

जानिए किस मद से कितना टैक्स का था टारगेट

संपत्ति कर में 121 करोड़ मिला 87 करोड़। जलकर में 50 करोड़ मिला 30 करोड़। रेंटल टैक्स 3 करोड़ मिला 2 करोड़ 21 लाख। डोर टू डोर कलेक्शन 15 करोड़ मिला 6 करोड़। अन्य मद 100 करोड़ मिला 85 करोड़। बिल्डिंग टैक्स 30 करोड़ मिला 16 करोड़। लाइसेंस 5 करोड़ मिला 2 करोड़। 

क्या रही टारगेट से पिछड़ने की वजह

वित्तीय लक्ष्य हासिल करने में पिछड़ने की वजह जब जानने की कोशिश की गई तो, अधिकारियों ने कहा कि सरकार की योजनाओं को पूरा करने के लिए जिस तरह से अधिकारियों का अमला जुटा रहा उसी के चलते ये हालात बने हैं। उनका कहना था कि फरवरी का पूरा महीना विकास यात्रा में चला गया जबकि पिछले कुछ दिनों से अधिकारी लाडली बहना जैसे योजना में जुटे हुए हैं।

BJP के Video पर जीतू पटवारी का पलटवार: कहा- मैंने कभी झूठ नहीं बोला, तर्क और तथ्य की बात करने को तैयार, मैं दुश्मन नहीं, 50 करोड़ रुपए नहीं लिए, इतने पैसे में पूरा कमरा भर जाता है

जानिए महापौर ने क्या कहा 
महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नु ने कहा कि उनकी हमेशा से कोशिश रही है कि राजस्व अमले को अन्य सरकारी कामों में ना लिया जाए। इससे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। महापौर का कहना है कि सरकार की कोई भी योजना आती है उसको करने का काम नगर निगम के अधिकारी, कर्मचारी के जिम्मे छोड़ दिया जाता है। महापौर ने कहा कि योजना में अधिकारी की ड्यूटी लगाने से काम तो प्रभावित होता ही है बल्कि पहले से ही ओवरलोड चल रहे अधिकारी कर्मचारी और ज्यादा परेशान हो जाते हैं। महापौर ने कहा कि उन्होंने हमेशा जिला प्रशासन से अपील की है कि हमारे अधिकारी पहले से ही काम में व्यस्त है लिहाजा कोशिश की जाए अन्य योजनाओं का काम उन कम से कम डाला जाए।

Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus