कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर (Jabalpur) जिले में मरीज भगवान भरोसे हैं। सेठ गोविंद दास जिला अस्पताल (Seth Govind Das District Hospital) में साढ़े 4 लाख की आबादी पर एक डॉक्टर तैनात है। जिला अस्पताल में 34 डॉक्टरों के पद स्वीकृत है। जिसमें से महज 4 ही डॉक्टर पदस्थ और बाकी पद खाली हैं। इस हिसाब से जबलपुर की करीब 18 लाख की आबादी के हिसाब से देखा जाए तो साढ़े चार लाख की आबादी पर एक डॉक्टर है।
दरअसल, जिला सरकारी अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ मनीष मिश्रा ने शासन को एक पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने जिला अस्पताल में खाली पड़े पदों को भरने की मांग की है। इस पत्र के माध्यम से सिविल सर्जन ने यह भी कहा है कि शासन की यह घोषणा कि सभी जिलों में समान व्यवस्था की जाए। जबलपुर जिले की आबादी के हिसाब से जिला अस्पताल में सटीक नहीं बैठती। उनका तर्क है कि जबलपुर की आबादी करीब 18 लाख है और जिले के 25 से ज्यादा थानों से आने वाले आरोपियों या लोगों की एमआईसी, ट्रीटमेंट के साथ ही इतनी बड़ी आबादी का इलाज करना काफी कठिन है। लिहाजा जिला अस्पताल की तुलना दूसरे छोटे जिलों से करना ठीक नहीं है।
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क्यों बनी ये स्थिति
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन बताते हैं कि नियमानुसार विभाग की पदोन्नति होने के कारण क्लास टू से 60 डॉक्टर प्रमोट होकर क्लास वन हो गए। जिसके चलते सभी क्लास 1 डॉक्टरों को जिले में अलग-अलग जगह पदस्थापना दे दी गई। इसी के चलते आकस्मिक सेवा में 11 डॉक्टर सेवा दे रहे हैं। जिसमें से 7 डॉक्टर प्रमोट होकर चले गए। लिहाजा जिला अस्पताल में डाक्टरों की कमी हो गई है। इसी कड़ी में सिविल सर्जन ने पत्र लिखकर खाली पड़े पदों को भरने की मांग की है।
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