कुमार इंदर, जबलपुर। मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर पहुंचे तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर हमला बोला है। कहा कि पंडित नेहरू ने अपनी महत्वाकांक्षा में देश का विभाजन कर दिया था। धर्म के आधार पर देश का विभाजन करा दिया था। फिर भी हमने समरसता बरती। भारत में रहना है तो रघुवीर के होकर रहो ‘बाबर’ के नहीं इस विषय पर हम समरसता बरतने का ढोंग नहीं कर सकते। भारत में रहना है तो वंदेमातरम कहना होगा। भारत माता को भारत माता बोलो, गंगा, जमुना नर्मदा को उस भाव से देखना होगा।
राम राज में कोई वीआईपी नहीं था, हर इंसान समान था
कहा कि सरकार हमसे है, हम सरकार से नहीं। हमारा स्वर एक हो जाए तो हम सरकार को नचा सकते है, सरकार हमे नहीं नचा सकती। स्वामी रामभद्राचार्य ने जान एल हनी की लाइन को कोड किया कि ऑफ द पीपल, बाय द पीपल, फॉर द पीपल। राम राज में कोई वीआईपी (vip) नहीं था, हर इंसान समान था। मोदी जी ने वीआईपी कल्चर तो खत्म कर दिया लेकिन लोगों के अंदर से वीआईपी का भूत निकला नहीं। इस वीआईपी भूत को धीरेन्द्र शास्त्री भी खत्म नहीं कर पाए। जब तक भारत से वीआईपी कल्चर नहीं जाएगा तब तक भारत समर्थ भारत नहीं बन सकता। आज भी जनप्रतिनिधि से मिलने के लिए लाइन में लगना पड़ता है। जहां जानवरों को न्याय मिले हमें ऐसा भारत चाहिए। आज इंसानों को न्याय मिलने में 40, 40 साल लग जाते हैं जाति के आधार पर आरक्षण बंद हो जाए तो 140 करोड़ लोगों में अपने आप समरसता आ जाएगी।
पंडित धीरेन्द्र शास्त्री के बहाने भी कटाक्ष किया
तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि जबलपुर आना तो नहीं चाह रहा था लेकिन, विनती टाल न सका। जैसी व्यवस्था थी उस हिसाब से आना कठिन था। कहा साधू की मौज और वानर की फौज में अंतर नहीं होता। बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री के बहाने भी कटाक्ष किया। सोचा धीरेन्द्र शास्त्री के प्रवचन से संस्कारधानी चमत्कार प्रधान हो चुकी है, तो मेरी शास्त्रीय चर्चा कौन सुनेगा, मेरी प्रतिभा का भी मूल्याकंन करने वाले लोग भी जबलपुर में होंगे ये सोच कर चला आया।
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