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अजय शर्मा,भोपाल। मध्यप्रदेश के पीसीसी चीफ कमलनाथ ने अपनी सख्त मिजाजी का प्रदर्शन करके हुए अब कड़े फैसले लेना शुरू कर दिए हैं. नतीजतन कमलनाथ कैंप के ही सबसे भरोसेमंद चेहरे इन दिनों कांग्रेस से गायब नजर आ रहे हैं. महिला कांग्रेस, आदिवासी कांग्रेस, अनुसूचित जाति कांग्रेस के बाद कमलनाथ ने प्रदेश कांग्रेस की मीडिया कमेटी में रद्दोबदल किया. सबसे ज्यादा सुर्खियों में मीडिया कमेटी है. कमलनाथ ने इसमें नए और युवा तेज तर्रार चेहरों को मौका दिया, लेकिन पुराने भरोसमंद लोगों का गायब होना चर्चा का विषय बन गया है. उन भरोसेमंदों को मध्य प्रदेश कांग्रेस की सियासत में जमीन तलाशने में ही मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. यह सभी वह चेहरे हैं, जो कमलनाथ के मध्य प्रदेश की सियासत में सक्रिय भागीदारी से लेकर 15 महीनों की सरकार और उसके बाद के संघर्ष के दौर के रणनीतिकार के तौर पर पहचाने जाने लगे थे.
सब बिछड़े बारी बारी
कांग्रेस मीडिया सेल में सबसे पहले कमलनाथ ने अपने करीबी रहे प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माणक अग्रवाल पर भरोसा जताया था. इसके बाद शोभा ओझा, नरेंद्र सलूजा, सैयद जाफर, पंकज शर्मा, जीतू पटवारी, भूपेंद्र गुप्ता समेत तमाम कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को मीडिया सेल से जुड़ी हुई. अपने सलाहकार और सोशल मीडिया से लेकर प्रदेश के सियासी मुद्दों तक पर क्रिया की प्रतिक्रिया देने के लिए इन चेहरों को पार्टी और कमलनाथ की ओर से मजबूती के साथ सामने रखा जाता था. लेकिन आज यह सब किनारे लगा दिये गये है. प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ के सबसे विश्वस्त माने जाने वाले ये चेहरे खुद अपने ही दल में लंबा सियासी अनुभव हासिल करने के बाद खुद अपने लिए सियासी जमीन तलाशना शुरू कर रहे है.
माणक अग्रवाल यू हुए अलग
प्रदेश कांग्रेस में मीडिया सेल की कमान संभालने वाले, समय के पाबंद माने जाने वाले कांग्रेस के मीडिया सेल का चेहरा रहे माणक अग्रवाल कमलनाथ के बेहद करीबी थे. कमलनाथ ने उनके करीबी होने पर ही इसका इनाम मीडिया सेल की कमान सौंप कर दिया था. कुछ महीनों तक तो सब कुछ ठीक-ठाक रहा, लेकिन पार्टी के अंदर सियासी उठापटक और युवा चेहरे को लेकर उथल-पुथल का दौर शुरू हुआ. शिकवे शिकायतों के बीच माणक अग्रवाल को मीडिया सेल की कमान छोड़नी पड़ी. जिसके बाद अरसे तक अग्रवाल ने कांग्रेस दफ्तर का मुंह तक नहीं देखा.
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शोभा ओझा भी हुई ओझल
महिलाओं के बीच कांग्रेस का चेहरा माने जाने वाली कांग्रेस के तेजतर्रार नेता और गांधी परिवार की करीबी रही शोभा ओझा पर भी कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भरोसा जताया था. माणक अग्रवाल की विदाई के बाद शोभा को कांग्रेस मीडिया सेल की कमान सौंपी गई. चुनाव का वक्त था जब वह मीडिया सेल की अध्यक्ष बनी. चुनाव में ओझा की भूमिका के बाद उन्हें महिला आयोग की अध्यक्ष बनाकर उनकी सफल भूमिका का इनाम दिया, लेकिन इसके बाद उन पर अपनी भूमिका सक्रिय तौर पर नहीं निभाने को लेकर अरोप लगे और उन्हें मीडिया सेल की अध्यक्ष पद से हटा दिया गया.
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जीतू पटवारी ने मोडा मुँह
शोभा ओझा की कांग्रेस मीडिया सेल से छुट्टी होने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कांग्रेस के युवा तुर्क तेज तर्रार चेहरे जीतू पटवारी पर दांव लगाया. पटवारी कुछ महीने में आक्रामक अंदाज में शिवराज सरकार पर हमले बोले. कई मुद्दों पर पटवारी कांग्रेस से जुदा भी नजर आये. जिसे लेकर कमलनाथ और पटवारी के बीच असहज स्थिती बनी, फिर आलाकमान ने पटवारी को केंद्र में नई जिम्मेदारी दी. जिसके बाद कांग्रेस के अंदर भी एक पद एक व्यक्ति की आवाज बुलंद हुई और पटवारी की कांग्रेस मीडिया विभाग से रवानगी हो गई.
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पंचायतों में उलझकर रह गए जाफ़र
प्रदेश कांग्रेस का दफ्तर और उसमें होने वाली पंचायतों का पुराना नाता रहा है, फिर चाहे कोई किसी का कितना ही विश्वस्त क्यों ना हो उसको किनारे लगा ही दिया जाता है. मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा से कमलनाथ के बाद यदि कोई सक्रिय चेहरा है जिसका छिंदवाड़ा से ही सरोकार हो उसका नाम था सैयद जाफर. जिसे कांग्रेस मीडिया सेल में उपाध्यक्ष की कमान दी गई थी. अपनी बात कमलनाथ के सामने बेबाक अंदाज में रखने के लिए पहचाने जाने वाले जाफर कमलनाथ सरकार बनने के पहले और बाद डैमेज कंट्रोल में “की मैन” की भूमिका में होते थे, लेकिन अपनी ही पार्टी की सरकार के द्वारा पंचायत अधिकारों को लेकर जाफ़र ने पार्टी के अंदर और बाहर दोनों मोर्चा पर लड़ाई लड़ी. जिसका फायदा जाफ़र के विरोधियों ने उठाया और पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर काम करने का आरोप लगाते हुए उनके एक मात्र नेता से उन्हें किनारे लगवा दिया. कांग्रेस मीडिया सेल से उनकी छुट्टी करा दी गईं, लेकिन पंचायत चुनाव को लेकर लड़ी गई अदालती लड़ाई जाफ़र के पक्ष में रही और वो पंचायतों के नेता बनकर उभरे.
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नरेंद्र सलूजा पार्टी का सिख चेहरा
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ के ट्वीट और सोशल मीडिया से जुड़ी जानकारी जिस चेहरे के माध्यम से आती थी, उनका नाम नरेंद्र सलूजा था. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान संभालने के बाद सलूजा इकलौते नेता थे, जो कमलनाथ के लिए मीडिया समन्वयक के तौर पर काम करते थे. जिनके माध्यम से कमलनाथ प्रतिक्रिया ट्वीट सर्वजिनक करते थे, सलूजा ही विपक्ष के आरोप प्रत्यारोप पर कमलनाथ को तरफ से जवाब देते थे और तेजी से पार्टी लाइन साफ करते थे. लेकिन नई मीडिया टीम में सलूजा को जिम्मेदारी और जगह दोनों दी गई. इसके बावजूद पार्टी के अंदर चल रही अंदरूनी गुटबाजी और सूची के “हेरारकी” को लेकर सलूजा इतने नाराज हुए की अपना बोरिया बिस्तर बांध सीधे अपने गृह नगर इंदौर पहुंच गए. अपने पद से इस्तीफा दे दिया. जो कई दिनों तक स्वीकार नहीं हुआ, लेकिन पार्टी के इस सिख चेहरे को लेकर जैसे ही विपक्ष ने हमला बोलना शुरू किया, वेसे ही कमलनाथ ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया. सलूजा अर्से से कमलनाथ के विश्वस्त थे.
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पंकज शर्मा भी हुए नमस्ते
अरसे से कांग्रेस को कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार पंकज शर्मा ने भी कमलनाथ के सलाहकार के तौर पर काम किया. कमलनाथ ने उनकी सलाह के आधार पर अहम निर्णय भी लिये और संगठनात्मक तौर पर सरकार में वह निर्णय को लागू कराने पर मंथन किया. लेकिन वक्त के साथ पंकज शर्मा और कमलनाथ की दूरियां भी बढ़ती गई और शर्मा ने इन सब से इतनी दूरियां बना ली, वो प्रदेश कांग्रेस के संगठन से दूर हो गये.
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भूपेंद्र गुप्ता ने साधी चुप्पी
कांग्रेस के विचार विभाग को कांग्रेस मीडिया सेल के माध्यम से अमलीजामा पहनाने वाले आम लोगों तक कांग्रेस की विचारधारा को सीधे तौर पर पहुंचाने वाले कांग्रेस के नए कार्यकर्ताओं में कांग्रेस विचारधारा का पाठ पढ़ाने वाले भूपेंद्र गुप्ता को विचारों को लेकर कांग्रेस के अंदर हमेशा तवज्जो मिली. कांग्रेस मीडिया सेल के उपाध्यक्ष के रूप में उन्हें नई टीम में भी जगह दी गई. कमलनाथ के बेहद विश्वस्त में गिने जाने वाले गुप्ता को कमलनाथ सरकार आने पर अपना ओएसडी भी बनाया, लेकिन उन्हें उस वक्त भी उस पद से रुखसत कर दिया गया. अब इस सूची में उनका कद घटने से गुप्ता गुमसुम बताए जाते है. पूरे मामले को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं. कांग्रेस दफ्तर से दूरी बनाए हुए हैं. जिससे उनकी नाराजगी को समझा जा सकता है.
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पुराने बरगदों से युवा तुर्क तक, पुराने बरगदों से ज्यादा नया भरोसा
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने पूरे घर के बदल डालो के फार्मूले पर चलते हुए पुराने बरगद दो से ज्यादा नया और युवा चेहरों पर भरोसा जताया है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह आगामी निकाय चुनाव से लेकर विधानसभा और लोकसभा चुनाव की भागा दौड़ी को सोच समझकर ही निर्णय लिए हैं. संगीता शर्मा, अब्बास हफ़ीज, अजय सिंह यादव, अवनीश बुंदेला, बिंदु डोगरा, सिद्धार्थ राजावत आनंद जाट पर भरोसा जताया है.
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