यश खरे, कटनी। मध्यप्रदेश के कटनी (Katni) में भट्टामोहल्ले क्षेत्र के निवासी चैत्र नवरावि के पावन अवसर पर रविवार को बैंड बाजे के साथ चुनरी यात्रा (Chunari Yatra) निकाली। जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल हुए। 251 फीट लंबी की चुनरी यात्रा लेकर श्रद्धालु प्रसिद्ध ढाई सौ साल पुराने जालपा माता मंदिर (Jalpa Mata Temple) पहुंचे, जहां भक्तों ने देवी को चुनरी चढ़ाई और अपनी-अपनी मन्नत मांगी। इस यात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल रहीं।
मंदिर की खास बात यह है कि मंदिर पर जो भी श्रद्धालु नवरात्रि पर पहुंचता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। सभी श्रद्धालु चुनरी लेकर पैदल यात्रा करते बाजे साथ नाचते झूमते देवी के दरबार पहुंचे। शहर का यह प्रमुख शक्तिपीठ है। यहां पर साल के 365 दिन मेले सा माहौल रहता है। नवरात्र पर्व पर देवी की निराली छटा देखते ही बन रही है। कटनी शहर में स्थित मां जालपा मंदिर बहुत पुराना है। 252 वर्ष पुराने इस मंदिर का रहस्य भी अनूंठा है। मान्यता है कि जहां पर देवी विराजी हैं यहां घनघोर जंगल हुआ करता था। यहां पर बांस का जंगल की बहुतायत थी और उन्हीं बांस के जंगल के बीच में मां जालपा विराजती थी। पंडा के पूर्वज को देवी ने स्वप्न दिया, जिसके बाद माता बांस के जंगल में प्रकट हुई और आज उनकी महिला जिला ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में है।
देवी की 64 योगनियों
मंदिर परिसर में पट्टाभिरामाचार्य महाराज के सानिध्य में 64 योगनियों की स्थापना कराई गई। 2012 में मंदिर का विशेष मरम्मत करना कराया गया। मंदिर के गुंबज, गेट, परिसर को आकर्षक बनाया गया है। साल भर यहां भक्तों की भीड़ लगती है। गर्भगृह में विराजी मां जालपा और माता कालकाए शारदा व जालपा की दिव्य छवि के दर्शन कर श्रद्धालुओं के जन्मजन्मांतर के पाप दूर हो रहे हैं।
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