इमरान खान, खंडवा।इंदिरा सागर बांध बनने के 20 साल बाद भी विस्थापितों को सही मुआवजा नहीं मिल सका है. कोर्ट ने अब एनएचडीसी और कलेक्टर कार्यालय में कुर्की की कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं. वहीं कोर्ट के आदेश पर फरियादी और उसके वकील आज एनएचडीसी कार्यालय और कलेक्टर कार्यालय में कुर्की करने पहुंचे. इस दौरान एनएचडीसी कार्यालय के कर्मचारी ताला लगाकर भाग गए.
डूब प्रभावित नरेंद्र कुमार सांड ने बताया कि हमारी जमीने इंदिरा सागर बांध में ली गई थी जिसका मुआवजा हमें 2004 में दिया गया था. उस समय हमें 13 हजार रुपए एकड़ से मुआवजा दिया गया था. जिस से हमने असंतुष्ट हो कर हाईकोर्ट की शरण ली. इस मामले में केस और रिफ्रेंस केस लगाए. हमने 22 साल इसकी लड़ाई लड़ी. साल 2012 में हाईकोर्ट ने 21 एकड़ का लगभग 16 करोड़ रुपए का आदेश पारित किया. हमने इस अवार्ड के लिए एनएचडीसी से रकम अदायगी की बात कही, लेकिन उन्होंने हमें रकम नहीं दी. जिसके बाद न्यायालय में एक अर्जी दी, जिसपर कोर्ट ने उनकी स्टे अर्जी खारिज करते हुए कुर्की का आदेश दिया,
नरेंद्र कुमार सांड ने बताया कि कुर्की आदेश मिलने के बाद हम एनएचडीसी गए थे. वहां एनएचडीसी के कर्मचारियो ने हमें बैठाया, लेकिन कुछ समय बाद वह सब ऑफिस बंद कर के बिना कुछ बताए निकल गए. फरियादी ने कहा कि वह चाहते है कि 22 साल बाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया था तो उन्हें हमें पेमेंट देना चाहिए था. लेकिन हमें एनएचडीसी ने परेशान किया और ऑफिस में ताला लगा के चले गए. इस मामले में चार लोगों को पार्टी बनाया गया था उनमें एक जरनल मैनेजर आर एल डार , दूसरा कार्यपालन यंत्री एनएचडीसी 13 नंबर , तीसरा भूअर्जन अधिकारी हरसूद और चौथी पार्टी के रूप में जिला कलेक्टर खंडवा थे.
वहीं डूब प्रभावित के वकील मयंक मिश्रा ने बताया कि भूअर्जन की प्रथम अपील थी. दिसंबर में उच्च न्यायालय ने मुआवजे की रकम बढ़ाते हुए आदेश दिया कि प्रतिवादी जरनल मैनेजर एनएचडीसी और खंडवा कलेक्टर मुआवजा रकम की अदायगी की जाए. तीन महीने बीत जाने के बाद भी मुआवजा रकम की अदायगी नहीं की गई. इस मामले में जिला न्यायालय के समक्ष एक अर्जी लगाई गई. जिस पर जिला न्यायालय ने उन्हें आदेशित किया कि यह रकम अदा करें. उन्होंने रकम अदा नहीं की, इसलिए जिला न्यायालय ने उनके विरुद्ध कुर्की का आदेश पारित किया. कार्यपालन यंत्री एनएचडीसी 13 नंबर के कार्यालय में कुर्की की गई. उनको इस निर्देश के साथ सामान की सुपर्दगी दी गई कि जब भी न्यायालय उनसे सामान मांगेगा उन्हें देना होगा. वहीं एनएचडीसी कार्यालय में न्यायालय के आदेश की टालमटोली की गई. एनएचडीसी के अफसर बिना कुछ बताए ऑफिस में ताला लगा के चले गए. जिला कलेक्टर के संज्ञान में इस आदेश को लाया गया है. अभी कुर्की की कार्रवाई जारी है.
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