इमरान खान, खंडवा। मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर शहर में खाने-पीने लेकर टैक्सी का किराया और दवाईयां मुफ्त मिलता है। यह व्यवस्था सरकार नहीं बल्कि खंडवा वासी आपसी सहयोग करते हैं। गुरु पूर्णिमा में शहर में 300 से अधिक भंडारे लगाए जाते हैं।

शहर में धूनी वाले दादाजी के आश्रम में देशभर से हजारों शिष्य उनकी समाधि पर माथा टेकने आते हैं। खंडवा में इंदौर रोड पर स्थित भगवान शंकर के अवतार कहे जाने वाले संत केशवानंद महाराज की भव्य समाधि स्थापित है। यहां उन्होंने 1930 में अपना देहत्याग दिया था। केशवानंद महाराज उर्फ बड़े दादाजी अपने निकट हमेशा एक धूनी जलाए रखते थे। मान्यता है कि वो धूनी आज भी लगातार पिछले करीब 86 वर्षों से जलती आ रही है। 12 साल तक उनके शिष्य हरिहर नाथ महाराज ने उनकी समाधि की सेवा की। 1942 में इन्होंने भी देहत्याग कर दिया। इनकी इच्छा स्वरूप हरिहर नाथ महाराज उर्फ छोटे दादाजी की समाधि भी बड़े दादाजी की समाधि के पास स्थापित की गई। गुरु-शिष्य की इस अद्भूत मिसाल को देखने यहां देशभर से लाखों लोगों का गुरु पूर्णिमा के दिन जमावड़ा लगता है।

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गुरु पूर्णिमा में शामिल होने के लिए भक्तजन सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा करके यहां पहुंचते हैं। शहर में प्रवेश करते ही श्रद्धालुओं की आवभगत शुरू हो जाती है। यही वजह है कि गुरु पूर्णिमा पर खंडवा आने वाले भक्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है। खंडवा अवधूत संत केशवानंद की तपोभूमि कहलाता है। हमेशा अपने सामने आग की धुनी रमाये रखने वाले संत की समाधि खंडवा में है। जिन्हें भक्त दादाजी धुनी वाले के नाम से याद करते हैं। हर साल गुरु पूर्णिमा पर लाखों भक्त दादाजी के दरबार में माथा टेकने आते है। छत्तीसगढ़ से आए आरके शिवहरे पिछले पच्चीस वर्षों से गुरुपूर्णिमा पर्व पर खंडवा आ रहे हैं। वे खंडवा के नागरिकों के सेवाभाव को देखकर इतना ही कहते है की पर्व के दो दिनों तक पूरा खंडवा दादाजी धाम हो जाता है।

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बैतूल से खंडवा तक 15 दिनों की पदयात्रा करके दादा दरबार पहुंचने वाले नरेंद्र सोनी और अश्वनी सैनी बताया कि देश में सिर्फ खंडवा ही एक ऐसा शहर है, जहां के नागरिक अपनी तरफ से भक्तों की भरपूर सेवा करते हैं। शहर में लगाए भंडारे जाते हैं जिसमें 50 से अधिक प्रकार की व्यंजन होती है। गुरु पूर्णिमा पर पूरा खंडवा शहर बाहर से आने वाले दादाजी के भक्तों की सेवा में लग जाता है।

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