इमरान खान, खंडवा। मप्र के खंडवा (Khandwa) में वन विभाग की नर्सरियों में पौधे अब पॉलिथीन बैग में तैयार नहीं किए जाएंगे। विभाग ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए कुल्फी बाक्स की तरह रूट ट्रेनर प्लॉस्टिक के तैयार किए हैं। इसका उपयोग पॉलिथीन की जगह पौधों को तैयार करने के लिए किया जाएगा। इसकी शुरुआत वन विभाग ने हरसूद की चारखेड़ा नर्सरी से की है। जहां पर रूट ट्रेनर में तीन लाख पौधे तैयार किए हैं। जिसे सभी वन मंडलों में भेजा जाएगा। रूट ट्रेनर में तैयार पौधे लगाने के बाद नर्सरी में दोबारा इन्हें उपयोग में लाया जाएगा। इसके साथ ही इसमें एक बार में 20 से ज्यादा पौधे लगाए जा सकते हैं।

दरअसल, अब तक नर्सरी में पौधों को तैयार करने के लिए लाखों की संख्या में पॉलिथीन पैकेट का उपयोग किया जाता रहा है। जिसका उपयोग एक ही बार होता है। यह पॉलिथीन जंगल से लेकर कॉलोनियों और उद्यानों में सालों से यूं ही पड़े हुए हैं। जिससे मृदा प्रदूषण हो रहा है। वन विभाग ने पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के लिए नर्सरी में पॉलिथीन की बजाय रूट ट्रेनर में पौधे तैयार करने का नया प्रयोग शुरू किया।

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ये होता है रूट ट्रेनर

यह उम्दा किस्म के प्लास्टिक से बनाई गई ट्रे होती है। इसमें गिलास जैसे 20 ट्रेनर होते हैं। इनमें थोड़ी मिट्टी, खाद और बीज डालकर पौधे तैयार किए जाते हैं। इसमें छह से 10 इंच के पौधे भी रोपने लायक हो जाते हैं। ट्रे को पौधारोपण की जगह ले जाकर मिट्टी सहित पौधे को निकालकर रोपा जाता है। इसके बाद ये ट्रे फिर से यूज की जा सकती है।

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3 लाख से ज्यादा पौधे तैयार…

चारखेड़ा नर्सरी के रोपणी प्रभारी भूपेंद्र सिंह ने बताया कि रूट ट्रेनर में पौधा तैयार करने से पर्यावरण की पॉलिथीन से सुरक्षा होती है। क्योंकि नर्सरी में पौधों को तैयार करने के लिए पॉलिथीन बैग का इस्तेमाल किया जाता है। जो एक बार के बाद उपयोग में नहीं आती है। चारखेड़ा नर्सरी में रूट ट्रेनर में 3 लाख पौधे तैयार किए गए। इसके अनेकों फायदे हैं, यह कई बार उपयोग में ली जा सकती है। जबकि पॉलिथीन एक बार से ज्यादा उपयोग में नहीं आती है। पॉलिथीन में एक बार में एक ही पौधा लगाया जा सकता है, जबकि इसमें एक बार में 20 पौधे लगाए जा सकते हैं। फिलहाल अब देखना होगा पर्यावरण की पॉलिथीन से सुरक्षा के लिए नया प्रयोग आने वाले समय में कितना सफल होता है।

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