इमरान खान, खंडवा। इमरान खान,खंडवा। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में मंगलवार 3 अप्रैल को मुख्यमंंत्री शिवराज का लाडली बहना महासम्मेलन कार्यक्रम था। जहां वन मंत्री विजय शाह के बेटे समेत कई जनप्रतिनिधियों से पुलिस पर बहसबाजी करने और झूमाझटकी के आरोप लगे हैं। आरोप है कि एसपी सत्येंद्र शुक्ला ने मंत्री के बेटे को कॉलर पकड़कर भरे मंच से नीचे उतार दिया। हालांकि बाद में उन्हें मंच पर जाने दिया गया। अब भारतीय जनता युवा मोर्चा ने पैदल रैली निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया।

जनप्रतिनिधि और पुलिस के बीच झूमाझटकी

खंडवा में आयोजित लाडली बहना महासम्मेलन कार्यक्रम में जनप्रतिनिधियों से पुलिस पर बहसबाजी करने और झूमाझटकी के आरोप लगे हैं। इसमें वन मंत्री विजय शाह के पुत्र और खंडवा जिला पंचायत के उपाध्यक्ष दिव्यादित्य शाह, पंधाना जनपद की अध्यक्ष सुमित्रा कजले सहित कई अन्य नाम शामिल हैं। इन पदाधिकारियों का आरोप है कि कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के साथ मंच पर उपस्थित होने की सूची में नाम होने के बावजूद पुलिस ने इन्हें कार्यक्रम में शामिल होने नहीं दिया, बल्कि बेइज्जती की। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

वन मंत्री ने दी व्यवहार सुधारने की चेतावनी

खंडवा में मंगलवार लाडली बहना जागरूकता कार्यक्रम था, जिसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आए थे। इस कार्यक्रम में बड़ा सा पंडाल लगाया गया था। जिसमें तमाम जनप्रतिनिधियों को शामिल होना था। लेकिन मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगी पुलिस की टीम में जनप्रतिनिधियों यहां तक कि महिला जनप्रतिनिधियों को भी मंच पर जाने नहीं दिया गया। इस तरह का आरोप लगाया गया है। जिन लोगों ने जाने की कोशिश की उन्हें धक्के मार कर बाहर निकाल दिया। इसमें वन मंत्री विजय शाह के बेटे और खंडवा जिला पंचायत के उपाध्यक्ष दिव्यादित्य शाह, जनपद पंधाना की अध्यक्ष सुमित्रा कजले, भारतीय जनता युवा मोर्चा के अनेक पदाधिकारियों के साथ पुलिस ने अभद्रता किया। इन सभी लोगों ने इस घटना की जानकारी भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष और मंत्री विजय शाह को दी। वन मंत्री ने भी पुलिस के इस रवैया पर आक्रोश जताया और उन्हें अपना व्यवहार सुधारने की चेतावनी दी।

नए एसपी होने से पहचानने में दिक्कत

वहीं इस पूरे मामले को लेकर पुलिस की ओर से कोई अधिकृत बयान जारी नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि पुलिस अधीक्षक सत्येंद्र शुक्ला अभी नए हैं और कुछ दिन पहले ही उन्होंने पदभार ग्रहण किया है। इससे उन्हें पहचानने में दिक्कत हुई। बाद में आईडी कार्ड दिखाने के बाद सभी जनप्रतिनिधियों को मंच पर जाने दिया गया था जिनका नाम मंच की लिस्ट में शामिल था।

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