अनिल सक्सेना, रायसेन। मध्यप्रदेश में आदिवासियों की जमीन पर कब्जा और उन्हें हड़पने का मामला लगातार सामने आ रहे हैं। ताजा मामला रायसेन जिले (Raisen) का है। जहां एक आदिवासी की जमीन को दलालों ने मिलकर फर्जी तरीके से बेंच दिया और प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। उल्टा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन का नामांतरण भी कर दिया गया। लेकिन कुछ ही महीने बाद जब इस मामले की दलाली का एक वीडियो वायरल हुआ तब खुलासा हुआ कि यह जमीन किसी अन्य व्यक्ति ने आदिवासी व्यक्ति बनकर किसी अन्य को बेंच दी है। अब स्थानीय प्रशासन ने इस मामले में स्वयं संज्ञान लेकर नामांतरण को खारिज कर दोषी व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर (FIR) दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं।
जिले के ग्राम गुन्दरई नीमढाना में एक आदिवासी जीवन मुल्ला की 4 एकड़ मेन रोड की जमीन को दलालों और भू माफियाओं ने फर्जी तरीके से ग्राम बारला के हीरालाल लोधी के जीवन मुल्ला के नाम के फर्जी आधार कार्ड एवं अन्य दस्तावेज जैसे पेन कार्ड (PAN Card), बैंक पासबुक (Bank Passbook) आदि बनवाकर भोपाल (Bhopal) के एक दंपत्ती को ओनेपौने दामों बेंच दी गई।
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जिसका रायसेन के एक दलाल कथित पत्रकार ने 15 लाख रुपये लेकर अधिकारियों की मिली भगत से नामांतरण भी करवा दिया। लेकिन कुछ दिनों बाद दलाल का पैसों के लेनदेन के हिसाब से संबंधित एक वीडियो (Video) सोशल मीडिया (Social Media) पर वायरल (Viral) हुआ। जिसके बाद तहसील कार्यालय के होश उड़ गए। जबकि इस आदिवासी का परिवार अब छिंदवाड़ा जिले (Chhindwara) में कही निवास करने लगा है। उस तक अभी इस मामले की जानकारी पहुंची तक नहीं है।
जब उन्होंने दोबारा जांच कराई तो पूरे मामले का खुलासा हो गया। ग्राम गुन्दरई के चौकीदार ने पुष्टि की है कि जिस व्यक्ति ने जीवन सिंह बनकर रजिस्ट्री (Registry) करा कर फर्जी दस्तावेज लगाए हैं, वह जीवन सिंह नहीं बल्कि बारला गांव का हीरालाल लोधी है। जिसके बाद पटवारी (Patwari) ने भी अपनी रिपोर्ट (Report_ में फर्जी दस्तावेज होने की बात कही।
अब इस मामले में एडीएम रायसेन कोर्ट ने पटवारी को सस्पेंड (Suspend) करने और फर्जी दस्तावेज के आधार पर संलिप्त सभी लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराने के निर्देश दिए। इसके बाद रायसेन तहसीलदार (Raisen Tehsildar) ने सुल्तानपुर थाना प्रभारी को पत्र लिखकर संबंधित आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कर कार्रवाई करने के निर्देश दिये है।
प्रदेश (Madhya Pradesh) में तेजी से आदिवासियों की जमीन हथियाने के लिए सरकार के कानूनों को ठेंगा दिखाते हुए नए-नए तरीके अपनाए जाने लगे है। जिससे गरीब आदिवासी भूमिहीन होते जा रहे हैं। कुछ दिन पहले ही रायसेन तहसील में ही भारदा चंदौरा गांव में भी बड़े पैमाने पर आदिवासियों की जमीन हड़पने का मामला सामने आया था। जिसकी जांच अब तक पेंडिंग (Pending) है। अब देखना होगा कि इस मामले में अधिकारी (Officer) कितनी गंभीरता से कार्रवाई करते हैं।
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